संदेश

जून, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यादों का फलैश बैक

चित्र
शायद पाँचवी क्लास की स्टूडेंट थी जब मुझसे क्लास में कहा गया कि ‘आपको एक ऐसा कार्ड बना कर लाना है जिससे हमें कोई अच्छी शिक्षा मिलती हो’!मुझ पर ज़्यादा आईडियाज़ तो नहीं थे , लेकिन ‘मेरा चार्ट सबसे सुंदर हो’ वाली सोच तो थी ! कुछ नहीं समझ में आया तो सोचा मम्मी से कहूँ,जब कि मुझे उन का उत्तर पता था ‘बेटा ख़ुद किया करो अपना काम’ | इतने में पापा बोले ‘लाओ मैं बनाता हूँ’ मेरे लिए आश्चर्य था क्यों कि वक़्त की क मी की वजह से कभी-कभार ही ऐसा होता था कि पापा हमारा पढाई से रिलेटिड को बात किया करते थे , खैर मैं ख़ुश हो गयी पापा ने एक आर्ट पेपर माँगा उसको दो हिस्सों में मोड़ कर उन्होंने बस तीन पिलर बना दिये पहला सबसे ऊँचा, दूसरा उससे कम, तीसरा उससे भी कम फिर तीनों को अलग अलग रंगों से रंग दिया और तीनों पर लिख दिया ‘पहले देश ,फिर माँ फिर और कुछ” मैं कुछ अनमनी सी हो गयी लेकिन उनको बिना जताए और बताए,उस कार्ड में मुझे कुछ भी बहुत सुंदर नहीं लगा मैंने सोचा 'ये कैसा कार्ड है जिसमे बस तीन लाइनें हैं',मैंने बुझे मन से अपने बैग में रख लिया !टीचर को दिखाया या नहीं ये तो याद नहीं! लेकिन जब धीरे धीरे बुद्धि न

इक दुआ !

चित्र