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अटल जी, ईश्वर से कहिएगा जिस मिट्टी से आपको बनाया उसी मिट्टी से सारे नेताओं को बनाये।क्यों कि आप अनुपम थे,आपके लोग प्रतिद्वंदी तो रहे लेकिन विरोधी नहीं कितनी बड़ी ख़ासियत थी ये आप की।कितने संवेदनशील कवि,कितने दृढ़ निश्चयी,उत्कृष्ट वक्ता,स्वच्छ राजनीति के हरेक मापदंडों पर खरे। बड़ी लकीर खींच गए हैं आप इससे बड़ी लकीर खींचने वाले आप जैसे अजातशत्रु राजनीति को हमेशा ज़रूरत रहेगी। आप लम्बी उम्र जी कर भी गए और लंबे वक्त तक राजनीति में सक्रिय रह कर भी गए ये संतोष है। दोबारा आइये इस धरती पर फिर से एक युग पुरुष के रूप में। आपको विनम्र प्रणाम। _/\_ ~सोनरूपा #पुण्यतिथि  

ये है हिंदुस्तान हमारा प्यारा हिन्दुस्तान

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  || वंदन गीत || आप सभी को 75 वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं क़िस्मत वालों को मिलता है ऐसा देश महान। ये है हिंदुस्तान हमारा प्यारा हिंदुस्तान। धर्म अलग हैं, वेश अलग हैं, अलग-अलग हैं बोली फिर भी इक दूजे के बनकर रहते सब हमजोली जैसे अलग-अलग फूलों से बन जाती है माला जैसे रंग कई मिल कर रच देते हैं रंगोली ऐसे प्यारे मंज़र पर लाखों मंज़र क़ुर्बान। ये है हिन्दुस्तान हमारा प्यारा हिंदुस्तान। अलबेले त्यौहार हैं इसके, संस्कृतियाँ हैं अनगिन जगमग दीवाली-सी रातें, होली से रंगीं दिन पर्वत, नदियाँ, सागर, फ़सलें, मौसम हैं धन-दौलत शून्य लगे अस्तित्व हमारा इक पल भी इसके बिन जन्म यहाँ लेकर मिल जाए जीवन को सम्मान। ये है हिन्दुस्तान हमारा प्यारा हिंदुस्तान। सत्य, अहिंसा, प्रेम, दया के गीतों का ये स्वर है दुश्मन के क्षय को लेकिन रहता हरदम तत्पर है दंश कई झेले हैं इसने घाव कई हैं झेले शक्ति और दृढ़ता के बल पर भारत अजर-अमर है आदि काल से विश्व गुरु की है इसकी पहचान। ये है हिंदुस्तान हमारा प्यारा हिन्दुस्तान। #India #Independencedayindia

|| हिन्दी कवि सम्मेलनों में कवयित्रियों की गौरवशाली परंम्परा || इंदिरा इंदु

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|| हिन्दी कवि सम्मेलनों में कवयित्रियों की गौरवशाली परंम्परा || नवम पुष्प : इंदिरा इंदु अपने गरिमापूर्ण व्यक्तित्व और सशक्त कविताओं की उत्तम एवं सुरीली प्रस्तुति के कारण काव्य मंचों पर एक अलग और उल्लेखनीय पहचान रखने वाली कवयित्री इंदिरा इंदु जी को आज इस सीरीज़ के माध्यम से प्रणाम कर रही हूँ। महादेवी वर्मा,सुमित्रा कुमारी सिन्हा और स्नेहलता श्रीवास्तव के बाद इंदिरा इंदु मंच से जुड़ी ही नही देश भर में छा गईं। पिता जी डॉ. उर्मिलेश ने 1975 के आसपास से कवि सम्मेलनों के अत्यधिक पसंद किए जाने वाले कवि के रूप में प्रतिष्ठा पा ली थी।बचपन से मैंने देश के अनेक शहरों के नाम सुन लिए थे।लेकिन मुरैना शहर न केवल इसीलिए कि पिता जी वहाँ कविसम्मेलनों में जाते हैं बल्कि इसीलिए भी मेरे लिए परिचित शहर था कि वहाँ इंदिरा इंदु आँटी रहती हैं। मुझे बचपन की कुछ झलकियाँ आज भी याद हैं।जब मैंने पहली बार उन्हें देखा था और मैं उनके लंबे क़द,गले में रुद्राक्ष की माला,घुँघराले लंबे बाल,चौड़े माथे पर लम्बा लाल टीका देख कर बड़ी प्रभावित हुई थी।कद्दावर लगती थीं काफ़ी। मुझे याद है कि जाड़ों में हाई नेक स्कीवी पहना करती थीं साड़ी क

तितलियों ने दिये रंग मुझे

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  तितलियों ने दिये रंग मुझे और चिड़ियाँ चहक दे गईं प्यार की चंद घड़ियाँ मुझे, फूल जैसी महक दे गईं बारिशों ने इशारा किया साथ आओ ज़रा झूम लो देख लो रूप अपना खिला आईने को ज़रा चूम लो ये हवायें,घटायें सभी मुझको अपनी बहक दे गईं। ना को हाँ में बदलने में तुम वाक़ई एक उस्ताद हो सारी दुनिया अदृश हो गयी जबसे तुम मुझमें आबाद हो भावनाएं भी समिधाएं बन मीठी-मीठी दहक दे गईं। चैन की सम्पदा सौंपकर अनवरत इक तड़प को चुना याद का इक दुशाला यहाँ नित उधेड़ा दुबारा बुना लग रहा है कि लहरें मुझे आज अपनी लहक दे गईं । {प्रिय का साथ हो तो सावन ही नहीं, हर मौसम प्यारा लगता है।आज बारिश सा निर्बाध,सरल सा एक गीत} #Sonroopa_vishal #hindigeet #hindipoetry