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ग़ज़ल

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मेरी लिखी हुई गिनी चुनी  ग़ज़लों में से एक  ग़ज़ल हाल में  ही आम आदमी के सरोकारों को अपनी कलम से आवाज देने वाले शायर 'अदम गोंडवी ' के निधन के पश्चात फिर से वही सरकारी मदद और पुरस्कारों की घोषणाओं का नाटकीय शोर सुनाई  देने लगा .......... ठीक ऐसे ही कालजयी उपन्यास '  राग दरवारी' के रचनाकार श्री लाल शुक्ल को एक प्रतिष्ठित पुरस्कार तब दिया गया जब उनके लिए पुरस्कार के कोई मायने ही नहीं थे ............. ऐसे ही ना जाने कितने सम्मानित विभूतियों  को ऐसी स्तिथि में सम्मान की औपचरिकता के निर्वहन का एक हिस्सा तब बनाया जाता है जब उनकी उम्र अपना पड़ाव तय कर चुकी होती है ...........  आखिर जीवन के अंतिम पलों  में या मृत्यु उपरांत दिए जाने वाले पुरस्कारों का क्या औचित्य है ?ये  प्रश्न हम आम जन के दिमाग में ना जाने कितनी बार कौंधता है जब न्यूज पेपर ,समाचार हमें बताते हैं कि अमुक सम्मान अमुक को ....... माना कि कलाकार या साहित्यकार के सृजन को पुरस्कारों की दरकार नहीं होती फिर भी कला का सम्मान करना यानि अपनी संस्कृति का सम्मान करना है फिर वो सम्मान उस समय क्यों नहीं जब कलाका