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दहकता हुआ दरिया

दहकता हुआ दरिया  केसरिया हिंदुत्व का हरा रंग इस्लाम का रंगों का धर्मों पर हुये दोबारा नामकरण के लिए /नई पहचान के लिए काफ़ी हुए दंगे और थोड़े बहुत भाषण राम रहीम जैसे नाम होते होंगे आराध्य आस्थाओं के पर हॉट टॉपिक भी हैं फ़सादों के लिए सावन ,रमजान ,ईद ,दिवाली जैसे पाक दिन और महीने मौकापरस्ती के हिंसक तीर दागने वालों के लिए साल भर के सबसे बढ़िया दिन   वो कुछ लोग जिन्होंने दंगाई बलवाई उपद्रवी खुदगर्ज जैसे नामों का पेटेन्ट खुद के लिए करा लिया है ये जो चलते फिरते हरदम सक्रिय डायनामाइट्स हैं उनकी डिक्शनरी में ‘इंसानियत’ लफ़्ज को अंडरलाइन किया गया है नोंचने खसोटने के लिए ............ और वो होती रही है रोज   घायल  हर काल खंड में .... ( मेरा पड़ोसी जिला ‘बरेली’ पिछले दो हफ़्ते से मजहबी दंगों से घायल है , कल श्रावणमास का अंतिम सोमवार है जहाँ रमजान और सावन मास जैसे पाक महीने ईश्वरीय आराधन के लिए हैं, वहीँ यहाँ के वाशिंदे कल के दिन के लिए आशंकित ज्यादा हैं और दुआ कर रहे हैं कि अमन चैन बना रहे )