संदेश

जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विचार

 आप देश में फैली कुरीतियों पर बड़ी आसानी से वक्तव्य दे सकते हैं, क़ाग़ज़ भर सकते हैं।आपका बुद्धि जीवी होना ख़तरे में पड़ जायेगा यदि आप अपने अन्वेषी नज़रिये से अच्छाई में भी बुरे से बुरा न खोज पाये तो|  भ्रष्टाचार,बेरोज़गारी,आतंकवाद,ग़रीबी,अशिक्षा,नारी अस्मिता,शोषित वर्ग की अधिकारों के प्रति अज्ञानता,अलगाववाद न जाने कितने कोढ़ हैं भारत के शरीर पर जिन का होना पल-पल हमें शर्मिंदा करता है| लेकिन क्या हमारा विशाल गणत्रंत,भारतीय संस्कार,मूल्य,वैज्ञानिक प्रगति,ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक समृद्धता ,विविध धर्म, विविध ढंग,विविध संस्कृति,सैन्य सम्पदा,औद्योगिक क्षमता,आधुनिक प्रगति,अन्न सम्पदा,वैदिक खज़ाना हमारे लिए अपने देश पर गर्व करने के कारण नहीं हैं?  अगर सिर्फ़ हमेशा ही नकारात्मक पहलूओं को ही दोहराया जाता रहे तो आप कितने सकारात्मक क्षणों और उनसे मिलने वाले सुकून को खो रहे हैं इसका आप को शायद ही भान हो|लेकिन ज़रा उन सैनिकों से पूछिए जिनके लिए उनका देश ही उनके लिए सब कुछ है उनसे अपने देश के लिए उनकी भावना पूछिए और फ़िर उनका  गर्वोन्मत सीना देखिये ।ज़रा सोचिये वो भी आपके नकारात्मक रिमार्क्स का पुलिंदा खोल के

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये

आप देश में फैली कुरीतियों पर बड़ी आसानी से वक्तव्य दे सकते हैं , क़ाग़ज़ भर सकते हैं।आपका बुद्धि जीवी होना ख़तरे में पड़ जायेगा यदि आप अपने अन्वेषी नज़रिये से अच्छाई में भी बुरे से बुरा न खोज पाये तो|  भ्रष्टाचार , बेरोज़गारी , आतंकवा द , ग़रीबी , अशिक्षा , नारी अस्मिता,शोषित वर्ग की अधिकारों के प्रति अज्ञानता,अलगाववाद न जाने कितने कोढ़ हैं भारत के शरीर पर जिन का होना पल-पल हमें शर्मिंदा करता है| लेकिन क्या हमारा विशाल गणत्रंत , भारतीय संस्कार , मूल्य , वैज्ञानिक प्रगति , ऐतिहासिक , सांस्कृतिक , सामाजिक समृद्धता , विविध धर्म , विविध ढंग , विविध संस्कृति , सैन्य सम्पदा , औद्योगिक क्षमता , आधुनिक प्रगति , अन्न सम्पदा , वैदिक खज़ाना हमारे लिए अपने देश पर गर्व करने के कारण नहीं हैं ? अगर सिर्फ़ हमेशा ही नकारात्मक पहलूओं को ही दोहराया जाता रहे तो आप कितने सकारात्मक क्षणों और उनसे मिलने वाले सुकून को खो रहे हैं इसका आप को शायद ही भान हो|लेकिन ज़रा उन सैनिकों से पूछिए जिनके लिए उनका देश ही उनके लिए सब कुछ है उनसे अपने देश के लिए उनकी भावना पूछिए और फ़िर उनका   गर्वोन्मत सीना देखिये ।ज़रा सोचिये वो

तुम जो कह दो तो आज की रात चाँद डूबेगा नहीं !!

चित्र
धूप ....प्लीज़ आज मत निकलना'अभी दो दिन पहले सुबह से हो रही बारिश के बीच हलकी चमकती धूप से मैंने चुपचाप ये गुज़ारिश की और यक़ीन जानिए धूप साहिबा मान भी गयीं और चल दी ठुमक के वापस आराम करने के लिए | कड़क सर्दियाँ दिन की चूड़ियों जैसी खनखन को रात के ख़ाली कंगन की तरह चुपचाप देती हैं|आज का ये दिन भी थमा हुआ सा बिताने का मन था इसीलिए धूप के मुड़ते ही मैंने बिस्तर की पनाह ली | टी.वी से ज़रा कम यारी है मेरी, लेकिन आज लीक बदलने का दिन था मेरा |लेकिन इतनी ही देर में शिंजन तेज़ी से मेरे पास आये और निक चैनल पर आ रहे ‘मोटू पतलू’ के दर्शक का रूप अख्तियार कर लिया |’चिंगम से बचना मुश्किल ही नहीं इम्पॉसिबल है’,’ख़ाली पेट दिमाग की बत्ती नहीं जलती’ जैसे डायलॉग शिंजन अक्सर दोहराते हैं लेकिन आज मोटू पतलू के समोसे से उठती भाप और डायलॉग मुझे भी दिन भर हँसाते रहे | चैनल बदलते-बदलते NDTV Good Time पर एक प्रिटी सी ब्राइड पर मेरी नज़र थम गयी ,शो चल रहा था ‘बैंड बाजा विद  सव्यसाची मुखर्जी’ और लगभग एक ४५ मिनट के इस प्रोग्राम में शादी की रस्म,तैयारियाँ,गहने,सव्यसाची की डिज़ायनर ज़री साड़ियों ने मेरे कमरे की स