उन दिनों
मेरी पसंदीदा पेंटिग कलाकार 'वर्तन आर्ट ' उन दिनों उन दिनों चाँद भी हथेलियों पर उतर आता था उन दिनों हथेलियाँ ख़ुशबुओं से महकती थीं उन दिनों हथेलियाँ बस दुआओं के लिए उठती थीं उन दिनों हथेलियों की नावों में रंग बिरंगी तितलियाँ सवार रहती थीं उन दिनों हथेलियों के उठान प्रेम के आवेग थे आसमान पर उमड़े बादलों की तरह उन दिनों हथेलियों की रेखाएँ भी ईश्वरीय मिलन के रास्ते थे ये जादू था चार हथेलियों का जिसने हथेलियों पर प्रेम की फसल उगा ली थी ये जादू था चार हथेलियों का जिसने समूची धरती को ख़ुद पर पनाह दे दी थी जैसे जादू चल नहीं पाता बिना जादुई ताकत के वैसे थम गया था चार हथेलियों का जादू दो के होते ही अब हथेलियाँ बदन का हिस्सा भर थीं बस !