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मई, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शब्द समर्पण

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शब्द समर्पण   एक महीने पहले फेसबुक पर  ख़ुद को एक और नए ग्रुप में जुड़ा हुआ पाया .....नाम था 'फरगुदिया ...स्त्री के अंतर्मन में उठे प्रश्न और समाधान ' नाम थोड़ा अलग सा था .....मैंने ग्रुप का पेज ओपन किया फिर उसके बनाये जाने के मकसद पर मेरा ध्यान गया  .......मुझे पता चला कि ये ग्रुप दिल्ली की रहने वाली एक होम मेकर जिनका नाम 'शोभा मिश्रा 'है , उनका है जिन्होंने अपनी बचपन की मित्र जिसका नाम 'फरगुदिया 'था उसकी याद में बनाया है...... मात्र १४ वर्ष की उम्र की थी फरगुदिया जब वह किसी की दरिंदगी का शिकार हुई और जब गरीब, बेसहारा और एक गाँव में घरों में काम-काज कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाली उसकी माँ ने उसका गर्भपात करवाया तो उसकी मौत हो गई............. संवेदनाओं को समर्पित इस ग्रुप से और शोभा दीदी से लगाव कुछ बढ़ गया था ...फोन से भी बातचीत होने लगी इस बीच एक कर्यक्रम के लिए उनका फोन मेरे पास आया ...उनका मन था कि  उसी फरगुदिया और उसकी जैसी हज़ारों-लाखों-करोड़ो ं फरगुदियाओं की याद में एक शाम रखी जाये  जिसमें कुछ कवयित्रियाँ इस तरह की कुकृत्यों के विरोध

कुछ यादें आपके साथ ..........

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आज पापा की सातवीं पुण्यतिथि है ना जाने कितनी बार सोचा कि ये दिन अगर कलेंडर से मिट जाये तो कितना अच्छा हो या क्यों ना वो पल जब उनकी साँसें थमी थी वो पल वक़्त की अल्मारिओं में रखे हुए पलों के हिसाब से मिट जाये ......जानती हूँ ऐसा कभी भी नहीं होगा ...............इसीलिए ये बचपना भी  दोहराना  छोड़ दिया है |  हम जल्दी ही उनके नाम का एक पेज बना रहे हैं ' डॉ-उर्मिलेश ' .....जिसमें हम उनके कुछ वीडियोज,फोटोस ,कवितायेँ ,संस्मरण ताजा करेंगे ......हालाँकिहम कुछ ही वीडियोज एकत्र कर पायें हैं फिर भी कोशिश रहेगी कि उनसे जुड़े हर छुए अनछुए पहलुओं से हम आपको मिलवा सकें ,और जल्दी ही उनकी बेबसाइट भी आपके सामने होगी ...... पिछले एक दशक से जिस तरह तकनीक के द्वारा ,सोशल साइट्स के द्वारा  लेखकों और कवियों का पाठकों से सीधा साक्षात्कार होता दिखता है उसे देख कर मेरा भी मन होता है कि हम  भी पापा के कृतित्व और व्यक्तिव को आने वाली पीढ़ी तक ले के जायें ... मैं जानती हूँ कि उनको सुनने वाले श्रोता,उनको पढ़ने वाले उनके पाठक लाखों में हैं फिर भी ये साहित्यिक सिलसिला यहाँ भी जारी रहे ऐसी कामना है  ......

सत्यमेव जयते

आज आमिर खान का बहुप्रचारित   एवं बहुप्रतीक्षित शो  ‘ सत्यमेव जयते ’  एयर हो गया, नाम से ही जाहिर है कि जैसा भी होगा समाज के लिए एक और नई दिशा से जोड़ेगा ......आज सुबह से कुछ मन अनमना सा था ,कभी-कभी सब कुछ सामान्य होते हुए भी ना जाने क्यों उदासीनता घर सी कर जाती है ......फिर भी ११ बजते ही मैं टी.वी. सेट के सामने बैठ गयी |आमिर खान का पहला शो एयर होने वाला था ..उनसे एक आम और ख़ास दोनों ही तरह के दर्शकों को एक ख़ास उम्मीद तो रहती ही है ,पहला एपिसोड ‘कन्या भ्रूण हत्या’ पर आधारित था और एपिसोड पर आने वाली महिलाएं,जिन्हें ना जाने कितनी भयानक यातनाओं से गुजरना पड़ा क्यों कि उन्होंने लड़की जन्मी थी या जन्मने वाली थीं .....गरीब तबके से लेकर पढ़े लिखे तबके से बुलाई गयीं भुक्तभोगी महिलाओं की दर्दनाक दास्तान सुनकर अभी भी मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं , ये शो पूरी तरह से अप टू द मार्क है पहले समस्या,फिर कारण,फिर निराकरण भी | ऐसी ही दर्दनाक दास्तानों से हम सब भी रोज रूबरू होते हैं, सुबह आँख खुलते ही अख़बार दस्तक देता है अपनी ५ परसेंट अच्छी ख़बरें एवं ९९ परसेंट ऐसी ही दर्दनाक दास्तान लेकर और हम चे