फीलिंग नॉस्टॅल्जिक
'फीलिंग नॉस्टॅल्जिक ’ फेसबुक पर कुछ दोस्त अपने स्टेटस में अक्सर इसे जोड़ कर अपनी यादें पोस्ट करते है | मुझे दोस्तों की ये यादें,बातें सबसे बहुत सहज और अच्छी लगती हैं | ' नॉस्टेलजिया ' यानि ‘बीते वक़्त की याद’ | स्मरणहीन के अलावा कोई ऐसा नहीं है जो यादें दोहराता न हो,हम अक्सर भूले बिसरे पल दोहराते हैं |फ़िर आज ऐसी कौन सी नई बात मैं लिखने बैठी हूँ यादों के बारे में ? ये मैंने ख़ुद से पूछा | शायद इसीलिए कि मुझे महसूस होता है कि जो हमारा आज है इसे याद करने वाले ज़रूर होंगे लेकिन ये यादें इतनी पक्की या पुर सुकून न हों जितनी अब हैं या पहले थीं | मल्टीटास्किंग लोगों की बढ़ती गिनती ,सिर्फ़ ‘मैं और मेरा’ सर्वनाम जानने वाले लोग,ए फॉर एप्पल से पहले एस फॉर सक्सेस के सिखलाने वाले माँ पिता ,ग से ग्लोबलाइजेशन के आगे अपने ग से गाँव अपनी जड़ों को भूल जाने वाले लोग सिर्फ़ हासिल करने की कोशिश में हैं पा लेने की नहीं | वो ये सब कर पाते हैं तो सिर्फ़ अपने हसरत और मंज़िल पर नज़र रखने के बाद ,कई यादें कई तहों में दबा लेने के बाद | क्यों कि आगे की रौशनी ...