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नक़्क़ाशीदार कैबिनेट

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【अमेरिका यात्रा के संस्मरणों को लिखना अमेरिका से लौट कर मेरी प्राथमिकताओं में से था !क्यों कि प्राथमिकता थी तो लिखना प्रारंभ कर दिया!जो समझा, जो जाना, जो देखा उसे लिखने में कोई अड़चन नहीं थी लेकिन जहाँ बात यहाँ के जीवन शैली की थी उसमें आवश्यकता थी कि जो लिखूँ वो मात्र कुछ दिनों में जो मैंने महसूस किया उसका सार न हो बल्कि उसमें प्रमाणिकता हो ! मुझे सुधा ओम ढींगड़ा याद हो आईं ! नार्थ केेरोलिना के रालेह में हुई उनसे यादगार और रोचक मुलाक़ात ने और अमेरिकी जीवन शैली पर हुई सार्थक बातचीत ने मुझे उनका नाम याद रह जाने में मदद की!यूँ भी मैं उनके लेखन की क़ायल पहले से रही हूँ!एक उत्कृष्ट कहानीकार के रूप में वे हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं! मैंने उन्हें अपनी पांडुलिपि भेजी,फोन पर बात की ,कुल मिलाकर मुझे बहुत संतुष्टि हुई और जो कुछ उनसे जानने को मिला उसे मैंने डायरी में दर्ज कर लिया!इस दौरान उन्होंने मुझे उनके एक कहानी संग्रह को पढ़ने की सलाह दी जिसे पढ़कर मैं यहाँ की जीवन शैली और सोच को और अधिक जान सकती थी!उन्होंने मुझसे मेरे घर का पता लिया और किताब भेजने की बात कही ! मैं इंतज़ार कर