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ताकि जीवन की कलाई पर सुख की मौली बंधी रहे

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 ।🌼।ताकि जीवन की कलाई पर सुख की मौली बंधी रहे।🌼। जो आप से बिछुड़ गए उन्हें हमेशा अपने साथ रखने का तरीक़ा उनकी बातें,यादें दोहरा लेना तो होता ही है और उससे भी अच्छा तरीक़ा होता है उनकी उन बातों को जीवन में उतार लेना जिनसे जीवन की कलाई में सुख की मौली बंधी रहे। कभी-कभी मुझे अपनी दादी की बहुत हुड़क लगती है।उस वक़्त उन्हें याद तो कर ही लेती हूँ  लेकिन कई-कई बार कुछ ऐसा करने की कोशिश करती हूँ जो वो करती थीं।दादी का स्टील के ग्लास में चाय पीना वो भी खोए की वर्फ़ी के साथ ये भी ट्रॉई किया मैंने। इन सब का ज़िक्र तो क्या करूँ लेकिन आज के दिन से जुड़ी हुई एक याद साझा करती हूँ। रोज़ शाम तुलसी जी के चौरे पर दीया जलाना दादी की दिनचर्या का एक हिस्सा था।मैंने भी सोचा कि मैं भी ऐसे ही करूँगी।कई बार दीया जलाना शुरू किया लेकिन फिर भूल गयी।मतलब ये कि नियम नहीं बन पाया कभी। इस बार कार्तिक का महीना शुरू होते ही प्रण कर ही लिया कि अबकी बार कोई दिन मिस नहीं करूँगी पूरे माह दीया जलाऊँगी।दादी की शाबासी जो पानी थी। मैं बहुत ख़ुश हूँ कि इस बार मैंने नियम से पूरे मास तुलसी जी को दीप अर्पित किया।मैं घर पर नहीं थी तो बेटे न

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

भूलकर भी न बीती भूल बाँटिये सत्ता हेतु राम न रसूल बाँटिये भारत की धरती न धूल बाँटिये भेदभाव भरे न उसूल बाँटिये एकता की नदी के न कूल बाँटिये प्रेम नाव के ना मस्तूल बाँटिये लाठी-तलवार न त्रिशूल बाँटिये बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये फूल जो हमें नई उमंग देते हैं जिंदगी जीने का नया ढंग देते हैं एकता के विविध प्रसंग देते हैं गंध-मकरंद और रंग देते हैं आजीवन जो हमारे काम आए हैं सारे फूल धरती माता के जाये हैं उन्हें छोड़ व्यर्थ ना बबूल बाँटिये बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये जिन हाथों को देनी थी तुम्हें रोटियां उनमें थमा रहे हो तुम लाठियां सत्ता हेतु तुम्हारी ये ख़ुदगर्ज़ियाँ लोकतंत्र की उड़ा रही है खिल्लियां क्या मिलेगा तुम्हें इस कारोबार में हिंसा बांटते हो बुद्ध के बिहार में शर्म हो तो बुद्ध के उसूल बाँटिये बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये एक ओर खड़े हैं विहिप के त्रिशूल दूजी ओर मिल्लत कौंसिल के त्रिशूल ये न किसी नबी के न शिव के त्रिशूल ये हैं मानवता के क़ातिल के त्रिशूल जबकि हमारी मिसाइल त्रिशूल है ऐसे में त्रिशूल बांटना फिजूल है हो सके तो प्यार के स्कूल बाँटिये बाँटना ही है तो थोड़