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ज़िन्दगी की न टूटे लड़ी

 ||ज़िन्दगी की न टूटे लड़ी प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी|| पीड़ा ने तो कवि ह्रदय को अपना स्थाई बसेरा स्वयं बना लिया।कवि क्या करे,उसे चाहे कितने ही सांसारिक,भौतिक सुख मिल जाएं लेकिन वो रहेगा बेचैन ही।बेचैन ये सारे सुख और  पाने के लिए नहीं बल्कि खोने के लिए स्वयं को कभी शब्दों के भीतर अर्थ बनकर,कभी खोजने के लिए संख्याओं में शून्य को,कभी सबकी पीड़ा में निज पीड़ा महसूस करने के कारण। कुम्हार की चाक रुक जाएगी लेकिन कवि के ह्रदय के चाक पर निरन्तर भावनाओं की मिट्टी चढ़ी रहती है, गोल-गोल घूमती रहती है।ऐसा नहीं है उसे कविता स्वरूप बर्तन हमेशा चाहिए।कभी आकार मिल गया कविता का तो कुछ पल आराम फिर नया ख़ालीपन प्रारम्भ। उसकी आम लोगों से अलग सोच उसे कुछ अलग सा बना ही देती है।उसको ना समझने वाले लोग उसे अजीब कहें उससे पहले वो इस फ़िक्र से बाहर आकर एक अपनी ही धुन में एक आंतरिक सुख तलाश लेता है। एक दो दिन से गीतकार सन्तोषानन्द जी का इंडियन आइडल शो के सेट का एक भावुक कर देने वाला वीडियो वायरल हो रहा है। आज उनके काँपते हाथ,चलने में अक्षम उनके पैर,सदी का सर्वश्रेष्ठ गीत देने पर भी आर्थिक दिक्कत और वृद्धावस्था में भी घर चलान