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ये कैसी कशमकश ?

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एक तरफ़ उम्मीद तेरे आने की एक तरफ़ खौफ़ तेरे जाने का इसी कशमकश में उलझती जा रही हूँ मैं जानती हूँ खौफ़ का पलड़ा भारी है उम्मीद से फिर भी न जाने क्यों ...... सच को स्वीकारने में मुझे मेरा अंत नज़र आता है

गज़ल

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उनसे शिकवे कभी गिले ही नहीं हम भी ख़ुद से कभी मिले ही नहीं हमको हालात ने तराशा है ख़ुद की मिट्टी में हम ढले ही नहीं बेसबब जी रहे हैं सपनों को मेरी आँखों में जो पले ही नहीं कैसे उस राह पर तुम्हे भेजें हम भी जिस राह पर चले ही नहीं हमने ख़ुद से वो ही सवाल किये जिसके उत्तर हमें मिले ही नहीं उम्र गुजरी है उनकी यादों में जिनसे मिलने के सिलसिले ही नहीं

मियाद

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तुम इक दिन की मियाद एक महीना एक साल या एक सदी भी कह देते तो मान ही जाती मैं जैसे ये माने बैठी हूँ कि तुम आओगे मुझे खोजते हुए , लेकिन तब जब मुझे खोज लोगे ख़ुद में | मैं हूँ मैं थी मैं रहूँगी यहीं इंतज़ार में | कभी गर्म शाल में लिपटी हुई , कभी पतझड़ में पत्तों सी झड़ती हुई, कभी नई कोपलों सी महकती हुई, कभी गर्म थपेड़ों से लड़ती हुई, कभी बूँद बूँद आसमां सी बरसती हुई ........ सच ये मौसम बड़े प्यारे हैं मुझे शायद ये ही हैं जो जो उस मियाद को छोटा कर देंगे जिसकी मियाद मुझे ही नहीं मालूम ..............

कालीन

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गुनगुनाती हुई महफ़िलें गुनगुनाता हुआ कालीन हर रस रंग से सिक्त कविताओं की बैठकों का श्रोता कालीन मेरे गाँव से चल कर आई धूल से किसकिसाता कालीन शिकवों,ठहाकों,मज़ाकों,पुरानी मस्तियों की याद में रात भर जागी दोस्ती पर मुस्कुराता हुआ कालीन घर भर के मेहमानों को नींद की गोद देता  कालीन  बहुत से हल्दिया सगुनों से छिटकी हल्दी से पीला हुआ कालीन सब कहते हैं पुराना हो गया है सो लपेट कर रख दिया है एक कोने में और उसमें लिपट गयीं हैं महफिलें,चर्चाएँ,बैठकें,गाँव की मिट्टी से सने पैर ,दोस्तों का जमघट ,मेहमानों की फ़ुर्सत,हल्दिया रस्में और भी बहुत कुछ और उनमें शामिल मेरे अपनों के कदम कुछ स्मृतियाँ ऐसी होती हैं जो हमारे वजूद में पूरी तरह जज्ब सी हो जाती हैं और कुछ ऐसी भी जिन्हें कुछ प्रतीक दोहरा देते हैं और फिर एक रील सी चलने लगती है एक के बाद एक  उन स्मृतियों की , जिसमें वो प्रतीक तो  शामिल है ही साथ ही उससे जुड़ी बातें यादें.................

मनन

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काग़ज  को कलम दे दूँ ? चिंतन को मनन दे दूँ ? जीवंत  ख़ुद को कर लूँ शब्दों को कथन दे दूँ ? इन प्रश्नों को सुलझाने के लिए  'लिखना  ज़रूरी है '