मन नया बना रहे
मन नया बना रहे पिछले तीन-चार साल से नए साल पर कोई रेसोल्यूशन लेना छोड़ दिया.ऐसा भी नहीं कि जब पहले संकल्प लेती थी तो उसे पूरा करने की कोशिश नहीं करती थी या पूरे नहीं कर पाती थी.कितने संकल्प लिए और पूरे भी किये.लेकिन धीरे-धीरे लगने लगा कि केवल नया साल ही नहीं जीवन का हर आने वाला पल नया है और वो नया पल क्या स्थिति ला दे,क्या प्रेरणा दे दे,क्या ज़िद ठनवा दे कुछ नहीं पता. उसके परिणाम में कुछ मनचाहा हो जाये तो अच्छा लगता है और नहीं भी कुछ मिलता तो भी ये कहते देर नहीं लगाती कि अरे तो क्या हुआ जो नहीं मिला ? नहीं मिलना था सो नहीं मिला. सुख के भी अपने पैमाने बन गए हैं.अब तो जी खोल के तब भी ख़ुश हो जाती हूँ जब अपने आप कोई हर्बल टी इंवेंट कर लेती हूँ और उसका सिप ले लेकर अपनी पीठ थपथपाती हूँ. चेहरे पर बढ़ते फ्रेकल्स की चिंता भी कम हुई और चेहरे पर बिना कुछ लगाए बाहर जाने की इच्छा अब पूरी करने लगी हूँ तो उस पर भी ख़ुश हूँ. कितना कम जानती हूँ और कितना अधिक है जानने को इसका मलाल अब कम होता है क्योंकि ये भी पहचान गयी हूँ कि जब चुनिन्दा चीजों को जानने में मैं ही जी लगाती हूँ तो क्यों बिना जी वाला काम ...