दहकता हुआ दरिया
दहकता हुआ दरिया
केसरिया हिंदुत्व का
हरा रंग इस्लाम का
रंगों का धर्मों पर हुये दोबारा नामकरण के लिए /नई
पहचान के लिए
काफ़ी हुए
दंगे और थोड़े बहुत भाषण
राम रहीम जैसे नाम होते होंगे
आराध्य आस्थाओं के
पर हॉट टॉपिक भी हैं
फ़सादों के लिए
सावन ,रमजान ,ईद ,दिवाली
जैसे पाक दिन और महीने
मौकापरस्ती के हिंसक तीर दागने वालों के लिए
साल भर के सबसे बढ़िया दिन
वो कुछ लोग जिन्होंने
दंगाई
बलवाई
उपद्रवी
खुदगर्ज
जैसे नामों का पेटेन्ट खुद के लिए करा लिया है
ये
जो चलते फिरते हरदम सक्रिय डायनामाइट्स हैं
उनकी डिक्शनरी में
‘इंसानियत’ लफ़्ज को अंडरलाइन किया गया है
नोंचने खसोटने के लिए ............
और वो
होती रही है रोज
घायल
हर काल खंड में ....
( मेरा पड़ोसी जिला ‘बरेली’ पिछले दो हफ़्ते से मजहबी
दंगों से घायल है , कल श्रावणमास का अंतिम सोमवार है जहाँ रमजान और सावन मास जैसे
पाक महीने ईश्वरीय आराधन के लिए हैं, वहीँ यहाँ के वाशिंदे कल के दिन के लिए आशंकित
ज्यादा हैं और दुआ कर रहे हैं कि अमन चैन बना रहे )
मेरी ईश्वर से दुआ है कि अमन चैन बनाए रखे,,,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST,,,इन्तजार,,,
स्थिति दुखद है, सहिष्णुता सीखना ज़रूरी है।
जवाब देंहटाएंसार्थक और सामयिक प्रविष्टि , आभार.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें , आभारी होऊंगा .
चल उठा कलम कुछ ऐसा लिख,
जवाब देंहटाएंजिससे घर का सम्मान बढ़े ,
कुछ कागज काले कर ऐसे,
जिससे आपस में प्यार बढ़े
रहमत चाचा के क़दमों में, बैठे पायें घनश्याम अगर
तो रक्त पिपासु दरिंदों को,नरसिंह बहुत मिल जायेंगे !
बहुत ही भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंअसम तो जल ही रहा था आग से वहां भी यही हाल है सोनरुपा जी .....?
जवाब देंहटाएंआपने अपना धर्म निभाया अच्छा लगा .....
जय हिंद ...!!
बहुत सुंदर और परिष्कृत भाव लिये हुए बढ़िया रचना
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