गज़ल
उनसे शिकवे कभी गिले ही नहीं
हम भी ख़ुद से कभी मिले ही नहीं
हमको हालात ने तराशा है
ख़ुद की मिट्टी में हम ढले ही नहीं
बेसबब जी रहे हैं सपनों को
मेरी आँखों में जो पले ही नहीं
कैसे उस राह पर तुम्हे भेजें
हम भी जिस राह पर चले ही नहीं
हमने ख़ुद से वो ही सवाल किये
जिसके उत्तर हमें मिले ही नहीं
उम्र गुजरी है उनकी यादों में
जिनसे मिलने के सिलसिले ही नहीं
हम भी ख़ुद से कभी मिले ही नहीं
हमको हालात ने तराशा है
ख़ुद की मिट्टी में हम ढले ही नहीं
बेसबब जी रहे हैं सपनों को
मेरी आँखों में जो पले ही नहीं
कैसे उस राह पर तुम्हे भेजें
हम भी जिस राह पर चले ही नहीं
हमने ख़ुद से वो ही सवाल किये
जिसके उत्तर हमें मिले ही नहीं
उम्र गुजरी है उनकी यादों में
जिनसे मिलने के सिलसिले ही नहीं
आदरणीया डॉ.सोनरूपा जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
पहली बार आपके ब्लॉग पर पहुंचा हूं … आपकी चारों प्रविष्टियों की रचनाएं देखीं … सुंदर चित्र और सुंदर भावों का सम्मिश्रण मन को भाया :)
प्रस्तुत ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी -
हमको हालात ने तराशा है
ख़ुद की मिट्टी में हम ढले ही नहीं
उम्र गुजरी है उनकी यादों में
जिनसे मिलने के सिलसिले ही नहीं
तमाम अश्'आर अच्छे हैं । इन दो शे'रों ने ज़्यादा छुआ मन को ।
कैसे बतलादें तुम्हे ख्वाहिशों का हम रस्ता
यह मिसरा बह्र से भटक रहा है ,
… देखिए , यूं ठीक रहेगा , आपकी पूरी बात भी आ रही है -
कैसे बतलादें ख्वाहिशों का पता :)
आभार और मंगलकामनाएं !
विलंब से ही सही…
♥ स्वतंत्रतादिवस सहित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
टिप्पणी के लिए धन्यवाद स्वीकारें.........शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसुन्दर ...|
जवाब देंहटाएंजिनसे न मिलने का सिलसिला होता,
जवाब देंहटाएंवक्त बेवक्त वो कहीं तो मिला होता है।
बहुत सुंदर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद ........
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल पढ़ने को मिली , पहली बार आपके ब्लॉग पर आया गलती मेरी .
जवाब देंहटाएंहम हालातों के तराशे हुए हैं और उन सपनों को जीते हैं जो अपनी आंखो मे नहीं पले ... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंखूबसूरत गजल ,अच्छे भाव ,बधाई ।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अशार...
जवाब देंहटाएंबढ़िया गज़ल...
सादर बधाई ...
मेरी गजल सराहने के लिए आप सभी को बहुत बहुत आभार ......
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