सत्यमेव जयते


आज आमिर खान का बहुप्रचारित एवं बहुप्रतीक्षित शो सत्यमेव जयते एयर हो गया, नाम से ही जाहिर है कि जैसा भी होगा समाज के लिए एक और नई दिशा से जोड़ेगा ......आज सुबह से कुछ मन अनमना सा था ,कभी-कभी सब कुछ सामान्य होते हुए भी ना जाने क्यों उदासीनता घर सी कर जाती है ......फिर भी ११ बजते ही मैं टी.वी. सेट के सामने बैठ गयी |आमिर खान का पहला शो एयर होने वाला था ..उनसे एक आम और ख़ास दोनों ही तरह के दर्शकों को एक ख़ास उम्मीद तो रहती ही है ,पहला एपिसोड ‘कन्या भ्रूण हत्या’ पर आधारित था और एपिसोड पर आने वाली महिलाएं,जिन्हें ना जाने कितनी भयानक यातनाओं से गुजरना पड़ा क्यों कि उन्होंने लड़की जन्मी थी या जन्मने वाली थीं .....गरीब तबके से लेकर पढ़े लिखे तबके से बुलाई गयीं भुक्तभोगी महिलाओं की दर्दनाक दास्तान सुनकर अभी भी मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं , ये शो पूरी तरह से अप टू द मार्क है पहले समस्या,फिर कारण,फिर निराकरण भी |

ऐसी ही दर्दनाक दास्तानों से हम सब भी रोज रूबरू होते हैं, सुबह आँख खुलते ही अख़बार दस्तक देता है अपनी ५ परसेंट अच्छी ख़बरें एवं ९९ परसेंट ऐसी ही दर्दनाक दास्तान लेकर और हम चेतना शून्य समाज के एक हिस्से की तरह पढ़ते हैं ,पलटते हैं और रद्दी में रख देते हैं .... मीना कुमारी का एक शेर है........
....
‘साहिल के तमाशाई ,हर डूबने वाले पर
अफ़सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते’


हम भी कुछ ऐसे ही तमाशाई से बने नजर आते हैं ,रोज सुबह फिर दिन चढ़ते- चढ़ते ना जाने कितनी बार..... और करें भी क्या ?
क्या हम भी जुटें एक जाग्रत नागरिक होने और समाज के एक अंग होने की जिम्मेदारी समझ कर ? लेकिन सवाल ये है कि अगर जुट भी जाएँ तो कौन सुनेगा ?........मेरे आसपास भी ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने जानते बूझते कोख में ही बेटियों को मार दिया और मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर पाई .........
  

 आज ये सब मैं एक शब्द से विचलित होकर लिख रही हूँ वो है ‘चेतना शून्यता’ ...कल ‘हिंदुस्तान’ में ‘मोहन श्रोतिय’ जी का एक आलेख पढ़ा था जो उनके ब्लॉग ‘सोची समझी’ से उद्घृत है जहाँ उन्होंने मीना कुमारी के इसी शेर से अपनी पोस्ट का ताना बना बुना है जो मैंने अभी ऊपर लिखा है .....

 तभी से खुद से कई सवाल कर रही हूँ फिर खुद ही जबाव भी दे रही हूँ क्यों कि उसी चेतना शून्य समाज का एक उदाहरण मैं भी और आप भी और शायद हम में से ज्यादातर सभी हैं , जिनके लिए एक लाइन ‘क्या कर सकते हैं हम’ पर्याप्त है खुद को समस्याओं से बचा कर रखने की ...एक सच ये भी है कि अपनी परेशानियों की लिस्ट इतनी लंबी है कि कोई और साथ निभाए ना निभाए आखिरी साँस तक परेशानियाँ,व्यस्तताएं,जिम्मेदारियां हमारा पूरा साथ निभाती हैं


ओह......देख लीजिए मेरा इतना ही लिखना ‘हमारी समाज के प्रति जिम्मेदारी’ से बचकर निकल जाने का एक और बहाना है ........लेकिन मेरे साथ एक सच ये भी है कि जब कभी मैंने अपनी चैतन्यता का उपयोग किसी सद्कर्म में किया तो आधे से ज्यादा बार मेरे द्वारा किये गए ऐसे कार्य का सही जगह क्रियान्वन नहीं हो पाया शायद मेरी जल्दबाज़ी रही खुद को आगे से आगे रखने की जहाँ मैं कुछ सार्थक करके अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकूँ भले ही वो बाद में निरर्थक साबित हुआ हो .......समय के साथ और अनुभव के बाद हम बहुत कुछ सीखते हैं मैंने भी सीखा है और सीखूंगी भी .........आइये हम सब कोशिश करें और कोशिश ही नहीं पूरी लगन से अपनी जीवन के उस प्रश्न का समाधान करें जहाँ हमें उत्तर मिले कि ‘असल जीवन तो ये है जहाँ हम ‘मैं’ से ऊपर उठकर ‘हम’ को पहचान पायें!

 मैं बधाई देती हूँ  ‘सत्यमेव जयते’ की पूरी टीम को जिनका प्रथम प्रयास निसंदेह प्रशंसनीय है !मैं पुनः कहना चाहती हूँ कि इस कार्यक्रम में समस्या भी थी कारण भी थे और निराकरण भी जिसने इसे सम्पूर्ण बनाया है .........हमेशा साथ दीजिए ऐसे प्रयास का ...............’सत्यमेव जयते’!



टिप्पणियाँ

  1. आपने कम से कम सच को सच कहने का साहस तो दिखाया। मौजूदा दौर में सच कहने की हिम्मत भी गिने-चुने लोग ही रखते हैं।
    सकारात्मक कहना या लिखना भी तो अपने आप में एक शुरुआत ही तो है। अच्छा लिखा आपने, बधाई हो आपको।
    वैसे सकारात्मक सोच वालों के लिए यह शेर मौजूं हैं---कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छा आलेख है सोनरूपा जी!
    मैंने जब से सुना है इस प्रोग्राम के बारे में तब से ही मेरी बहुत दिलचस्पी बढ़ गयी इसे लेकर...और निसंदेह ही ये एक बहुत बड़ा प्रयास है...सत्यमेव जयते के पूरी टीम का प्रयास वाकई सराहनीय है..
    टी.वी फ़िलहाल नहीं होने की वजह से ये कार्यक्रम मैं देख तो नहीं पाया...लेकिन देखूंगा जरूर इसे..

    जवाब देंहटाएं
  3. आमिर जी ने जितनी गंभीरता से सत्यमेव जयते बनाया है, आपने उतनी ही गंभीर टिप्पणी की है। सच को साहस के कहना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। आमिर इसमें पूरी तरह सफल रहे हैं। सोनरूपा जी बेहतरीन आलेख के लिए साधुवाद
    अनुपम, दैनिक भास्कर, बिलासपुर

    जवाब देंहटाएं
  4. हर सकारात्मक पहल का स्वागत किया जाना चाहिये। :)

    जवाब देंहटाएं
  5. सत्यमेव जयते सफल हो हम भी यही कामना करते हैं।


    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. कार्यक्रम वाकई अच्छा है। हालांकि मिलते-जुलते फार्मेट पर आईबीएन 7 पर जिंदगी लाइव आता था। लेकिन सत्यमेव जयते में कुछ महत्वपूर्ण चीजें और हैं। अगर ईमानदारी से ऐसे कार्यक्रम बनाए जाएं तो कम से कम सही दिशा में पहला कदम तो पड़ेगा।

    जवाब देंहटाएं
  7. मैंने कल कार्यक्रम नहीं देखा। आमिर कोई भी काम करते हैं तो उससे भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। ऐसा कोई भी प्रयास जो हमें समाज के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित कर सके सराहनीय है। वैसे अगर हम सभी जो काम निभा रहे हैं सही तरीके से करें तो ऐसी समस्याएँ सर ही नहीं उठा सकतीं।

    जवाब देंहटाएं
  8. आप सभी का दिल से शुक्रिया .........

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छे प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए।
    प्रेरक आलेख।

    जवाब देंहटाएं
  10. aapke vichaar bahut achchhe aur prernadaayak hain.
    jan chetna jaagrat karne ke liye achchhe prayas
    hote rahne chaahiyen.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

लड़कियाँ, लड़कियाँ, लड़कियाँ (डॉ. उर्मिलेश की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल)

सोत नदी 🌼