ग़ज़ल
ग़ज़ल
लगभग पन्द्रह दिन पहले दिल्ली से वापस लौटते समय FM पर मेरा बहुत ही पसंदीदा गाना 'रोज रोज आंखों तले इक ही सपना पले रात भर काजल जले आँखों में जिस तरह ख़्वाब का दिया जले 'बज रहा था ........ ख़्वाब, रात ,नींद , ख़्वाहिशें,उम्मीदें ये कविता,ग़ज़ल में सबसे ज्यादा लिखे जाने वाले लफ़्ज हैं ,ऐसा मुझे लगता है और हो भी क्यों न ज़िंदगी भी इन्ही लफ्जों के इर्द गिर्द घूमती रहती है ..... ख़ैर गाना सुनते सुनते इक दो लाइन मेरे जेहन में भी आयीं 'बंद आँखों से जहाँ मुझको समंदर सा लगा /जागी आँखों से वहां रास्ता बंजर सा लगा ...........Mobile note book ने इस बार भी ख़ुद पर मेरे ज़ज्बात को लिखने में और हाँ भूल न जाने में अपनी मदद दी .........आज जैसे तैसे इस ग़ज़ल को पूरा करने की कोशिश की है .........अब तक कोशिशे ही चल रही हैं क्यों कि लिखने की 'क़ाबिलियत' यकीनन अब भी मुझमे नहीं है ...हाँ मन का कहा मानकर कोशिशें बदस्तूर जारी हैं ......
लगभग पन्द्रह दिन पहले दिल्ली से वापस लौटते समय FM पर मेरा बहुत ही पसंदीदा गाना 'रोज रोज आंखों तले इक ही सपना पले रात भर काजल जले आँखों में जिस तरह ख़्वाब का दिया जले 'बज रहा था ........ ख़्वाब, रात ,नींद , ख़्वाहिशें,उम्मीदें ये कविता,ग़ज़ल में सबसे ज्यादा लिखे जाने वाले लफ़्ज हैं ,ऐसा मुझे लगता है और हो भी क्यों न ज़िंदगी भी इन्ही लफ्जों के इर्द गिर्द घूमती रहती है ..... ख़ैर गाना सुनते सुनते इक दो लाइन मेरे जेहन में भी आयीं 'बंद आँखों से जहाँ मुझको समंदर सा लगा /जागी आँखों से वहां रास्ता बंजर सा लगा ...........Mobile note book ने इस बार भी ख़ुद पर मेरे ज़ज्बात को लिखने में और हाँ भूल न जाने में अपनी मदद दी .........आज जैसे तैसे इस ग़ज़ल को पूरा करने की कोशिश की है .........अब तक कोशिशे ही चल रही हैं क्यों कि लिखने की 'क़ाबिलियत' यकीनन अब भी मुझमे नहीं है ...हाँ मन का कहा मानकर कोशिशें बदस्तूर जारी हैं ......
बंद आँखों से जहाँ मुझको समंदर सा लगा
जागी आँखों से वहाँ रास्ता बंजर सा लगा
रोज ख़ुशियों की बेहिसाब अर्ज़ियाँ लेकर
अब तो मंदिर का रास्ता मुझे दफ़्तर सा लगा
उसकी हर बात में कुछ ऐसी बात होती है
फ़लक भी सामने उसके मुझे कमतर सा लगा
घर में समझौते-ख़्वाहिशें रहीं तसल्ली से
आज के दौर में हर शख्स दरबदर सा लगा
उसकी बातों से मुझे ऐसे तजुर्बात हुए
उसका चुप रहना किसी बोझ का लश्कर सा लगा
सुंदर ग़ज़ल कही आपने.. तीसरे शेर की पहली पंक्ति में इसी को ऐसी कर लें।
जवाब देंहटाएंkoshishon ka nagina gazal
जवाब देंहटाएं"uski har baat me kuch aisi baat hoti hai falak bhi saamne uske kamtar sa laga'....thx with my heart president
जवाब देंहटाएंसुंदर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है ।
जवाब देंहटाएंरोज ख़ुशियों की बेहिसाब अर्ज़ियाँ लेकर
जवाब देंहटाएंअब तो मंदिर का रास्ता मुझे दफ़्तर सा लगा
बहुत खूब ! मतला और ये शेर दिल खुश कर गए।
बहुत खूबसूरत अंदाज़...
जवाब देंहटाएंआपका लिखा पढ़ने की बात ही कुछ और है
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गजल।
जवाब देंहटाएंएक छोटा सा सुझाव है कि इसे भी अपनी आवाज़ मे रिकॉर्ड कीजिये....प्लीज़।
सादर
umda gazal....
जवाब देंहटाएंआपकी ज़रा सी कोशिश एक शानदार ग़ज़ल में तब्दील हो गई।
जवाब देंहटाएंकाफि़यों ने ग़जब का कमाल किया है।
आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
जवाब देंहटाएंमेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
Many poet are successful at expressing what is in their hearts or articulating a particular point of view your's poetry do both and more...'uski baaton se mujhe aise tazurbaat hue ...uska chup rahna kisi bojh ka lashkar sa laga " bahut umda laaine hai maidam ji ...दिल में तूफ़ान उठा दिया किसने ..शेर उसका सुना दिया किसने ..परत दर् परत बर्फ की मानिंद ..खून 'कमल' जमा दिया किसने
जवाब देंहटाएंshaanadaar gajal
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत मतला !
जवाब देंहटाएंबेहद शानदार गज़ल ...
BAHUT HI SUNDAR LAJABAB ....MERE BLOG PR AMANTRAN SWEEKAREN
जवाब देंहटाएंband aankhe Dil ki gahrai se dekhti hai, khuli aankhe bhramit si rahti hai ekaagra nahi hoti...
जवाब देंहटाएंआपकी गजल लाजवाब लगी
जवाब देंहटाएंplease welcome to my blog. It will be my pleasure
आभार
आपके कवि हृदय को नमन.
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावों को बहुत खूबसूरती से
पिरो दिया है आपने इस गजल में.
जब मन में भाव समुन्द्र हिलोरे ले
तो लिखना ही एक सशक्त माध्यम है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईएगा.
सच है, ख़्वाब पंख से हलके होते हैं जबकि ज़िंदगी कई बार बहुत भारी.
जवाब देंहटाएंशुरूआती दो शेर तो लाजवाब हैं... बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक एवं सारगर्भित प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपके एक-एक शब्द मेरा मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ नई उर्जा भी प्रदान करते हैं । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गज़ल............
bahut badiya pyari bhumika ke baad sunar gajal padhna bahut achha laga...
जवाब देंहटाएंपहला और दूसरा शेर बहुत ही खुबसूरत हुआ है !
जवाब देंहटाएंउम्दा गज़ल !
आज के दौर में हर शख्स दरबदर सा लगा...एक अच्छी रचना के लिए साधुवाद॰
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गजल ....
जवाब देंहटाएंउसका चुप रहना किसी बोझ का लश्कर लगा | .....बहुत अच्छा लगा ..धन्यवाद |
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