!सौभाग्य के अवसर मिले दो प्राण इक प्रण से मिले!



!सौभाग्य के अवसर मिले
दो प्राण इक प्रण से मिले!



मैंने कल अपना ये पहला गीत लिखा है अब तक बस कुछ अतुकांत कवितायेँ ,मुक्तक और ग़ज़ल लिखने की ही कोशिश की है ,कल पापा के गुरुप्रवर और सौभाग्य से मेरे भी गुरु जी के विवाह की स्वर्ण जयंती है ......मुझे उन्होंने फोन किया और कहा कि बेटा तुम सब को आना है और पापा को याद करते हुए बोले आज अगर उर्मिलेश  होते तो हमें अपने शब्दों का उपहार ज़रूर देते,ना जाने उत्सव को कितना सुंदर बना देते | उनके इन्ही शब्दों को सुनकर मैंने सोचा शायद मैं कुछ लिख सकूँ उनके लिए .......कल ये गीत मैं उन्हें सस्वर सुनाऊँगी ........पापा के जैसा तो कभी नहीं लिख सकती लेकिन हाँ बहुत मन से लिखा है|

सौभाग्य के उपवन खिले 
दो प्राण इक प्रण से मिले 

नव अंकुरण से वृक्ष तक 
जीवन के कटु मधु सत्य तक 
संकल्प पथ से ना हिले 
दो प्राण इक प्रण से मिले

हो प्रेम का तरुवर घना
सानंद हों दोनों मना
जारी रहें ये सिलसिले
दो प्राण इक प्रण से मिले 

गंगा की अविरल धार सा 
वीणा के झंकृत तार सा 
संगीत पुष्पित हो खिले 
दो प्राण इक प्रण से मिले 

दिनकर सहित किरणों सहित 
शशिधर सहित तारों सहित 
आशीष पूरित नभ मिले 
दो प्राण इक प्रण से मिले 

दाम्पत्य के रस छद को 
तन मन के चिर सम्बन्ध को 
शतपूर्ति का अवसर मिले 
दो प्राण इक प्रण से मिले 

सौभाग्य के उपवन खिले 
दो प्राण इक प्रण से मिले ........................सोनरूपा

टिप्पणियाँ

  1. बहुत खुबसूरत और समय के अनुकूल गीत है , आपके गुरूजी के स्वर्ण जयंती पर हार्दिक शुभकामनायें : मेरे नवीनतम प्रकाशन "पर्यावरण " ,http://kpk-vichar.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन उम्दा प्रस्तुति
    अरुन शर्मा
    www.arunsblog.in

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर भावपूर्ण गीत .
    .बधाई आपको .

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

लड़कियाँ, लड़कियाँ, लड़कियाँ (डॉ. उर्मिलेश की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल)

सोत नदी 🌼