चलते फिरते

दो दिन पहले जी आई पी मॉल के सामने मैं आइस क्रीम से पार्ट टाइम ठंडी एन्जॉय कर रही थी कि वहां मौजूद ज़ी न्यूज़ की संवाददाता ने राय जानने के लिए मेरे आगे माइक कर दिया'३० सेकंड्स में आप हमें बता सकती हैं कि क्या आम महिलाओं के लिए राजनीति में आना मुश्किल है ?अगर वो आती भी हैं तो उनके फ़ैसले उनके नहीं होते,क्या उनकी वजाय उनके पति या उनके राजनीतिक अभिभावक उनके थ्रू रूल करते हैं ? 

मैंने उनसे कहा- मैडम ये भी कोई पूछने की बात है , हम स्त्रियों के साथ तो मुश्किलें गर्भ से ही दोस्ती निभाती आ रही हैं बात कीजिये दूसरी वो ये कि 'हमारे यहाँ कौन सी गवर्नमेंट ऐसी है जिसका ख़ुद का रूल चलता हो!कोई भी फ़ैसला लिखा एक पेन से जाता है लेकिन स्याही देने वाले इस शर्त के साथ स्याही सप्लाई करते हैं कि"हमारा भी ध्यान रखना"!

इस पर वो संवाददाता बोली कि आप बस वो ही बोलिए जो हम चाहते हैं !
मैंने कहा ..चलिए बोलते हैं कीजिये कैमरा ऑन !

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