अल्हड़ लड़की का चाँद

खुल गयी अम्बर की गांठ छिटके तारे और बादलों के नाजुक से फाहों  के बीच से उतरे तुम रात के चमकीले शामियाने के सजीले चितचोर , रात की झिलमिल झील की पतवार, दुनिया भर की प्रेम कथाओं के कोहिनूर , ओ चाँद तुम्हारा वजूद आसमां से जमीं तक मुझ से होकर उतरता है हर रात ओ मेरे राजदार मेरे दोस्त मेरे चाँद उस दिन तुम भी मुझे दुनिया के पैरोकार से लगते हो जब घूरते हो मुझे टुकुर टुकुर यूँ घूरना तुम्हारा मुझे तब अच्छा नहीं लगता जब हिरनियों की तरह तेजी से मैं उलझनों के जंगल पार कर लेना चाहती हूँ  प्यार को तीनों सप्तकों तक गुनगुना लेना चाहती हूँ , मैं किताब का हर एक लफ़्ज खुद के मुताबिक पढ़ लेना चाहती हूँ , जानती हूँ तुम्हे नींद की चादर मुझे उड़ानी है चाँद पर कुछ रातों की मनचाही उड़ान कई सुबहे तरोताजा बना देती हैं कुछ देर और जागने की मोहलत माँगती हूँ मैं तुमसे चाँद मत तको यूँ ना टुकुर टुकुर मुझे ओ दुनिया की प्रेम कथाओं के कोहिनूर

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