बदलाव के संवाहक
अगर कोई व्यक्ति अपनी
क्षमताओं को पहचान कर उसका उपयोग समाज की अच्छाई के लिए करे तो उससे अच्छा और स्मार्ट
सिटीजन और कौन होगा ,निहाल सिंह हमारे शहर बदायूँ से ५० किलोमीटर दूर गाँव मुसिया नगला
में रहते हैं ,इन्होनें अपने साथ ९९ किसानों को जोड़ कर और उन्हें जैविक खेती सिखा
कर पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है ,मुझे जानकर बहुत अच्छा लगा कि एक
सुविधाविहीन शहर में कभी आर्थिक तंगी
झेलते हुए जो पढाई के लिए कर्जदार हो गए आज उन्होंने अपना सफ़ल करीयर भी बनाया और जैविक खेती को अपनाया ,कैलीफ़ोर्निया
की एक कम्पनी ने उन्हें बतौर सलाहकार नियुक्त किया है ये बहुत गर्व की बात है |
आजकल स्मार्ट सिटी
बनाये जाने के लिए जाने की मुहिम ज़ोरों पर है ,किसी भी शहर को सिर्फ़ आधुनिकता से
जोड़ना ही स्मार्ट सिटी का ख़ाका नहीं खींचता , अब तक की जानकारी के अनुसार शायद
मेरे ज़हन में स्मार्ट सिटी की यही परिभाषा है ,आने वाले समय में जो भी विकास हो
उसे एन्वायर्नमेंट फ्रेंडली होना बहुत ज़रूरी है स्मार्ट सिटी के अंतर्गत इंडस्ट्रीज़
को बढ़ावा ,वातानुकूलित शहर होना इत्यादि पर्यावरण
के लिए सिर्फ़ दुखदाई ही होंगे खैर इसके अलावा बढ़िया इन्फ्रास्टक्चर ,हाई टेक ,सुरक्षा आदि अन्य कई अच्छाईयों से भी लेस होंगी
स्मार्ट सिटीज़, ऐसा सुना जा रहा है |
ये तो रही विकास की
बात ,इसके अलावा स्मार्ट सिटी बनाने में सबसे मददगार फैक्टर स्मार्ट सिटीजन होना
है |जिनका मैंने ऊपर ज़िक्र किया वो ऐसे ही स्मार्ट सिटीजन के दायरे में आते हैं ,सिर्फ़
आलोचना ,धार्मिक उन्माद,रीढ़विहीन चर्चाओं में लिप्त रहने वालों से इतर ऐसे लोग
वास्तविक विकास के संवाहक हैं |
ऐसे लोग अन्जाने में हमें
ख़ुद अपने गिरेवान में झाँकने के लिए भी इशारा करते हैं और प्रश्न भी करते हैं ,कि आप बतायें आप समाज,देश के हित में क्या कर
रहे हैं ?
ऐसा मेरे साथ भी हुआ
है कई बार ,जब मैं इस प्रश्न के लिए ख़ुद को अनुत्तरित पाती हूँ ,मैं जानती हूँ कि
मैं घर से निकल कर मुश्किल से ही किसी की हक़ की लड़ाई के लिए अपना योगदान दे पाती
हूँ ,किसी आन्दोलन का चेहरा नहीं हूँ ,या किसी मुहिम में झंडाबरदार नहीं होती ,दिनों
दिन बढ़ते जाने वाले दुष्कर्मों के लिए संवेदनाएँ अब मेरी कलम की नोंक पर आते आते
रुक जाती हैं |मैं स्वीकार करती हूँ कि मेरे अंदर ऐसी ख़ासियत ,जूनून ,ज्वाला ,व्यक्तित्व
नहीं है कि मैं बड़े बदलाव की संवाहक बन सकूँ |
फिर भी अगर टी. वी. जैसे
मारक रोग से ग्रस्त किसी व्यक्ति के दिमाग से ऊपरी चक्कर का भूत उतार कर उसे और उस
जैसे और रोगियों को ‘डॉट्स सेंटर’तक पहुँचा पाती हूँ तो ,जहाँ कहीं भी फ़िज़ूल पानी का दोहन देख कर उसे रोकने का
प्रयत्न करती हूँ तो ,डिसेबल्ड बच्चों के सर पर प्यार भरा हाथ फेर देती हूँ तो ,बिजली
बचाने की मुहिम घर से शुरू करने वाली ‘मैं’ जब एक्स्ट्रा बिजली जलाने के लिए अपने
ही बच्चे से डांट खाने लगती हूँ तो ,नए साल पर घर में दी गयी बच्चों की पार्टी में
बच्चों से नए साल पर एक एक पौधा लगाने और उसकी सेवा का प्रॉमिस लेती हूँ तो ,अगले
कुछ दिनों में नव दुर्गों में कन्या भोजन पर उपहार के साथ साथ एक एक पौधा देने का
निश्चय करती हूँ तो ,कार में बैठ कर पानी की बोतलों और फ़ूड पैकेट्स को सड़क पर
फेंकने के लिए अपने बेटे को सजा देती हूँ तो ,ज़िला जेल में सच्चे-झूठे आरोपों में
फँसी महिला कैदियों के साथ बैठकर उनके हालातों से रूबरू होती हूँ तो ,जीवन से जुड़े
रिश्ते चाहे वो किसी भी रूप में हों उन्हें संजोये रखने में अपने अहम् को एक तरफ़
रखने में कोई गरज नहीं रखती हूँ तो , आने वाले वक़्त के नौजवान यानि मेरे दोनों
बेटों के अलावा मेरी बात का मान रखने वालों को औरत की इज्ज़त,औरत होने का मतलब ,औरत
की अहमियत समझाने के लिए प्रयत्नशील रहती हूँ तो
मैं भी इन छोटी-छोटी कोशिशों से ख़ुद को स्मार्ट
सिटीजन मानती हूँ ,हो सकता है ये लेख पढ़ कर आपको ये शे’र याद आ जाये ‘दिल खुश रखने
को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है’या ये भी एक आत्मप्रचार का लेखा जोखा लगे |
एक दफ़ा मुझे भी लगा
कि ये कहीं आत्मप्रचार न समझा जाये लेकिन अगर
मैं सोशल साइट्स पर अपनी कवितायें ,अपनी उपलब्धियां ,अपनी ग़ज़लें ,अपने प्रोफाइल पिक्चर्स
शेयर करते समय भी यही सोचती तो ? मेरी पर्यावरण पर पहली कुछ पोस्ट पढ़कर मेरी एक
मित्र जागरूक हुई तो बहुत अच्छा महसूस हुआ इसीलिए मैंने लोगों के सोचने न सोचने को
महत्वपूर्ण माना ही नहीं |
दैनिक जागरण के
कार्यालय पर रोज़ाना ‘स्मार्ट सिटी स्मार्ट सिटीजन’ विषय पर विचार गोष्ठियाँ आयोजित
हो रही हैं ,पढ़कर कर सुखद अनुभव होता है कि लोग जानते हैं कि स्मार्ट सिटी बनाये
जाने के लिए क्या पहल होनी चाहिए ? इन्हें धरातल पर लाने के लिए हमारा प्रयासरत
होना बहुत ज़रूरी है |
तम्बाकू,पॉलथीन,शराब
हमारे प्रदेश में बैन नहीं हो पाई ,कारण क्यों कि राजस्व में कमी हो जाएगी इसीलिए न ?पानी
का दोहन तभी रुकेगा जब पानी के कनेक्शन पर भी बिल आएगा लेकिन ऐसा करने के लिए
गवर्मेन्ट को कौन रोकता है ? भूकंपरोधी घर ,रेन वॉटर हार्वेस्टिंग जैसे ज़रूरी क़दमों को न उठाकर कौन अपने की ख़िलाफ़ मुश्किलें खड़ी कर रहा है ? ऐसे बहुत ,बहुत सारे प्रश्नों का जवाब हमारे पास ही है बस जागृति का अभाव है |
अपने समाज की ,अपने
देश की ,अपने पर्यावरण ,अपने व्यक्तित्व की भलाई जिसमें दिखे उसके लिए अपना पूरा
समर्थन देना भी स्मार्ट सिटीजन होना है |
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
कोशिशें जारी हैं |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें