अमेरिका डायरी

अभी दो दिन पहले अमेरिका के कुछ अनुभव और चित्र मैंने आप सब से साझा किए थे! मन था कि पहले कार्यक्रम हो जाये तब कुछ साझा करूँ! उसका कारण ये था कि जिस कार्य के लिए यहाँ आये हैं पहले वो ज़िम्मेदारी सही से निभा लें यानि एक बार कवि सम्मेलन सफल हो जाये तो संतुष्ट हो जाएं लेकिन यहाँ सबकी आवभगत,कर्मठता,प्रेम देख कर  मन नहीं माना !

कल इंडियाना स्टेट की राजधानी और यू एस के दस बड़े शहरों में शामिल इंडियानापोलिस में हम कार्यक्रम करके हम आज ह्यूस्टन में हैं ,शाम को कार्यक्रम है!  परसों डैलस में और कल इंडियाना में...दोनों जगह कार्यक्रम ने जिन बुलंदियों को छुआ है उससे मुझे आज संतुष्टि हुई है !वर्ष भर की खोज और जानकारी ले लेने के बाद यहाँ आयोजक किसी नाम पर एकमत होते हैं और कवियों को आमंत्रित करते हैं!देश के विख्यात कवि गण अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति द्वारा आमंत्रित किये जा चुके हैं !मैं अपने लिए थोड़ा संशकित थी चूँकि मुझे बहुत ज़्यादा वक़्त नहीं हुआ है मंच पर!

तो ख़ुद से अपेक्षा मैंने भी कम नहीं रखी थीं!हमेशा से संकल्पित हूँ कि मंच से उत्तम कविता को ही मैं स्वर दूँगी!  ईश्वर को धन्यवाद कि सब बहुत अच्छा हो गया,सबसे मन को सुकून देने वाला फीड बैक मिल रहा है!आग़ाज़ अच्छा हो गया है तो अंजाम भी निश्चित ही अच्छा होगा और मेरे साथी कवि सर्वेश अस्थाना जी तो मंच के स्थापित नाम हैं ही और गौरव शर्मा भी मंच से बढ़िया सम्प्रेषित होते हैं ! यहाँ आवभगत का सिलसिला सब वैसे ही बरक़रार है! समिति के सदस्य हमें घुमाने, खिलाने एयरपोर्ट से लाने जाने समेत सारी अपनी सारी ज़िम्मेदारियाँ मुस्तैदी से निभा रहे हैं ! यहाँ बस कर भारतीयों ने अमेरिका वासियों की अच्छी अच्छी बातों को अपना लिया है!

लोग आज की चिंता करते हैं भारत में रह रहे भारतीयों की तरह आने वाले कल की नहीं!लोगों की उम्र का ठीक पता नहीं चलता,सब अपना काम ख़ुद करने से बिलकुल फिट रहते हैं!  कूल रहते हैं !उसका कारण भी है यहाँ सब सिस्टम से चलता है,समृद्धि है! एक बात यहाँ और मैंने गौर की ...यहाँ के लोग हमारे यहाँ की तरह मोबाइल में हर वक़्त इन्वॉल्व नहीं रहते!हमारे यहाँ तो ज़्यादा देर तक फोन न छूना तो असंभव है!ब्रांडेड और महंगा फोन हो तो लोग उसको सेफ रखने के लिए कोई कवर या सेफ गार्ड लगाना कम पसंद करते हैं लेकिन यहाँ ज़्यादातर लोगों के फोन कवर्स से लैस हैं!

इंडियाना पॉलिस में कार्यक्रम के बाद  निधि जी जो आई एच ए की सदस्य तो नहीं लेकिन कवि सम्मेलन की ख़ूब शौकीन हैं वो और उनके पति हमें डॉउन टाउन यानि किसी भी शहर का सबसे व्यस्त इलाका घूमने ले गए अद्भुत नज़ारा ! अमेरिका में ख़ूबसूरत ब्रिटिश इमारतें वहाँ 260 साल पहले की ब्रिटिश साम्राज्य की गाथा बयान कर रही थीं तो गगनचुंबी जगमगाती इमारतें अमेरिका की समृद्धि बयान कर रही थीं !एक भव्य स्टेडियम ऐसा कि मैच के वक़्त उसकी रूफ़ खुल जाती है,नाम मुझे याद नहीं आ रहा !

लग रहा था सारे नज़ारे आँखों मे क़ैद कर लूँ!ये बहुत ठंडी जगह है!रोड में से निकलते हुए धुँए को देख हम थोड़ा क्यूरस हुए फिर उन्होंने हमें बताया कि घरों को गर्म रखने के लिए अंडरग्राउंड सप्लाय होती है वो शायद एक्सेस है इसीलिए धुँआ सा है!इस समय ऑटम है इंडियाना में,लेकिन पत्ते विहीन पेड़ भी एक अलग छटा बिखेर रहे हैं ! चलिए आज इतना ही फिर वक़्त मिलते ही आपसे रूबरू होती हूँ!

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