एक सीधा सा सरल सा मन साथ अपने ले गया बचपन!

एक सीधा सा सरल सा मन साथ अपने ले गया बचपन!

फ़िक्र से अंजान रहते थे पंछियों जैसे चहकते थे

इंद्रधनु जैसी लिये मुस्कान चुलबुली नदिया सी बहते थे

मस्तियो से गूंजता आंगन साथ अपने ले गया बचपन

हम थे मौलिक गीत के गायक रह गये

अब सिर्फ़ अनुवादक कहने को आज़ाद हैं लेकिन ख़्वाहिशों के बन गए बंधक

तृप्ति का,संतुष्टि का हर क्षण साथ अपने ले गया बचपन !

प्रेम को व्यापार कर बैठे ज़िन्दगी रफ़्तार कर बैठे

जो नहीं था ज़िन्दगी का सच झूठ वो स्वीकार कर बैठे

सच को सच कह्ता हुआ दर्पण साथ अपने ले गया बचपन!

होके अपने आप तक सीमित साधते हैं

सिर्फ अपना हित स्वार्थ की पगडंडियों पे चल कर रहे हैं ख़ुद को संचालि

भोर की किरणों सा भोलापन साथ अपने ले गया बचपन

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

लड़कियाँ, लड़कियाँ, लड़कियाँ (डॉ. उर्मिलेश की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल)

सोत नदी 🌼