तुम आ जाओ दोबारा ज़िन्दगी में

ये बारिश धुंध सारी धो रही है

मेरी अब बात ख़ुद से हो रही है

महकना था जिसे सबके दिलों में

वो ख़ुश्बू काग़ज़ों में सो रही है

ये कैसा हादसा गुज़रा है उस पर

वो लड़की सोते सोते रो रही है

तुम आ जाओ दोबारा ज़िन्दगी में

तुम्हारी याद धुँधली हो रही है

किसे है फ़िक्र उसका ध्यान रक्खे

सो चींटी ख़ुद किनारे हो रही है

बड़ी पगली हूँ इतने में ही ख़ुश हूँ

कि मेरी बात तुझसे हो रही है

भटकते फिर रहे हैं पात्र सारे उधर पूरी कहानी हो रही है  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

लड़कियाँ, लड़कियाँ, लड़कियाँ (डॉ. उर्मिलेश की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल)

सोत नदी 🌼