अटल जी,
ईश्वर से कहिएगा जिस मिट्टी से आपको बनाया उसी मिट्टी से सारे नेताओं को बनाये।क्यों कि आप अनुपम थे,आपके लोग प्रतिद्वंदी तो रहे लेकिन विरोधी नहीं कितनी बड़ी ख़ासियत थी ये आप की।कितने संवेदनशील कवि,कितने दृढ़ निश्चयी,उत्कृष्ट वक्ता,स्वच्छ राजनीति के हरेक मापदंडों पर खरे।
बड़ी लकीर खींच गए हैं आप इससे बड़ी लकीर खींचने वाले आप जैसे अजातशत्रु राजनीति को हमेशा ज़रूरत रहेगी।
आप लम्बी उम्र जी कर भी गए और लंबे वक्त तक राजनीति में सक्रिय रह कर भी गए ये संतोष है।
दोबारा आइये इस धरती पर फिर से एक युग पुरुष के रूप में।
आपको विनम्र प्रणाम।
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~सोनरूपा

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