तितलियों ने दिये रंग मुझे
तितलियों ने दिये रंग मुझे
और चिड़ियाँ चहक दे गईं
प्यार की चंद घड़ियाँ मुझे,
फूल जैसी महक दे गईं
बारिशों ने इशारा किया
साथ आओ ज़रा झूम लो
देख लो रूप अपना खिला
आईने को ज़रा चूम लो
ये हवायें,घटायें सभी
मुझको अपनी बहक दे गईं।
ना को हाँ में बदलने में तुम
वाक़ई एक उस्ताद हो
सारी दुनिया अदृश हो गयी
जबसे तुम मुझमें आबाद हो
भावनाएं भी समिधाएं बन
मीठी-मीठी दहक दे गईं।
चैन की सम्पदा सौंपकर
अनवरत इक तड़प को चुना
याद का इक दुशाला यहाँ
नित उधेड़ा दुबारा बुना
लग रहा है कि लहरें मुझे
आज अपनी लहक दे गईं ।
{प्रिय का साथ हो तो सावन ही नहीं, हर मौसम प्यारा लगता है।आज बारिश सा निर्बाध,सरल सा एक गीत}
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