मॉरिशस में कुछ यादगार दिन


आधारशिला प्रकाशन द्वारा विश्व हिंदी मिशन के रूप में विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन मॉरिशस में  २८ अक्टूबर से ३ नवम्बर तक हुआ मैं भी वहाँ आमंत्रित थी|
एक सार्थक प्रयास के लिए यानि हिंदी को संयुक्तराष्ट्र (यू इन ओ) की भाषा बनाने और हिंदी की बढ़ती व्यापकता से नई पीढ़ी को जोड़ने और उन तक अपनी बात को अपने वक्तव्यों ,कविताओं द्वारा संप्रेषित के लिए हमारे ३२ सदस्ययीय दल ने वहाँ अपनी मौजूदगी दर्ज कराई |
पहले दिन का कार्यक्रम मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुईस में महात्मा गाँधी इंस्टिट्यूट में आयोजित हुआ वहाँ के सभी साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधिओं का केन्द इस इंस्टिट्यूट में, दो बार विश्व हिंदी सम्मलेन का आयोजन हो चुका है |यहाँ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मॉरिशस के उप प्रधानमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री (उत्तराखंड)श्री भगत सिंह कोशियारी एवं मॉरिशस के कला और संस्कृति मंत्री श्री मुकेश्वर चूनी उपस्तिथ रहे,मेरे द्वारा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ ,मॉरिशस के अनेकों लेखकों,कवियों ,साहित्यकारों की उपस्तिथि ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की ,अनेक वक्तव्यों, पेंटिग प्रदर्शनी,पुस्तक प्रदर्शनी,पुस्तक विमोचन सम्मान समारोह से कार्यक्रम परिपूर्ण रहा,साथ ही आधार शिला फौंडेशन द्वारा महात्मा गाँधी इंस्टिट्यूट में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में मुझे साहित्य और गायन के क्षेत्र में युवा प्रतिभा के लिए कला संस्कृति मंत्री श्री मुकेश्वर चूनी एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोश्यारी ने ‘कला श्री सम्मान’ से सम्मानित किया गया ,अगले दिन हिंदी स्पीकिंग यूनियन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उनकी  अगले दिन सुबह से ही हम लोग मॉरिशस के सुंदर समंदर और कई दर्शनीय स्थल देखने निकले,उसमें मॉरिशस के राष्ट्रपति भवन में जाकर वहाँ के राष्ट्रपति से मुलाकात करना भी शामिल रहा ,हम सब के लिए ये एक यादगार अनुभव रहेगा हम सभी ने अपनी अपनी कृतियाँ उन्हें भेंट की और उन्हें अपने देश की और उनसे उनके देश में हिंदी के लिए किये गए प्रयासों की जानकारी ली फिर हम सब दोपहर बाद हिंदी स्पीकिंग यूनीयन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पंहुचे,स्वागत गीत से मैंने सभी का स्वागत किया ,आज भी कुछ वक्तव्य कार्यक्रम में शामिल थे और कुछ विमोचन भी , हिंदी स्पीकिंग यूनियन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मेरी ऑडियो एल्बम आपका साथ’ का माननीय कला संस्कृति मंत्री द्वारा विमोचन भी किया गया|वहीं मॉरिशस टी वी के लिए एक इंटरव्यू देने के लिए वहाँ के कला एवं संस्कृति विभाग के सलाहकार श्री गति जी ने अनुरोध किया ,खैर इंटरव्यू के बाद हम सब रेसोर्ट के लिए रवाना हो गए |
अगले दिन हम सबका प्लान था शौपिंग पर जाने का ,बस में बैठते ही कला एवं संस्कृति मंत्रालय से श्री गति जी का फोन आ गया जो मेरे लिए मिनिस्ट्री ऑफ आर्ट एंड कल्चर द्वारा मॉरिशस के इतिहास के अविस्मरणीय दिवस यानि २ नबम्बर २०१२ को अप्रवासी घाट पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम जो मॉरिशस में आये बंधुआ मजदूरों के आगमन की १७८ वीं वर्षगाँठ पर आयोजित था ,में कविता पाठ के लिए आमंत्रण था |मैं जिस देश के इतिहास को बहुत बारीकी से जानती ही नहीं थी उस पर कविता पढ़ना थोड़ा कठिन लगा लेकिन फिर सोचा चलिए देखते हैं ,मुझे श्री मुकेश्वर चूनी जी ने एक अतुकांत कविता की कुछ पंक्तियाँ दी और कहा आप इस से कुछ क्लू लेकर इसे अपने शब्दों में लिखकर अपने स्वर में एवं लय में बांध दीजिए ,मैंने एक दो घंटे लगाकर इसको तैयार कर लिया  अगले दिन सुबह दस बजे कार्यक्रम की शुरुआत हुई ,कार्यक्रम की अध्यक्षता मॉरिशस के राष्ट्रपति श्री राजकेश्वर पुर्याग ने की मुख अतिथि मॉरिशस के प्रधानमंत्री श्री डॉ.नवीनचन्द्र रामगुलाम रहे,कार्यक्रम में कई अन्य देशों के राजदूत समेत देश के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे उन सभी की उपस्तिथि में कविता द्वारा मॉरिशस के गौरवशाली इतिहास का उल्लेख एक यादगार अनुभव रहा ..........
साथ ही इतने सुनाम नाम धन्य ,गुणीजनों ,विद्वानों के सानिध्य ने ये सात दिन मेरे लिए अनमोल बना दिए !


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