सभी लड़कियों को समर्पित

 तुम्हें यहाँ काफ़ी वक़्त हो गया न काम करते हुए? मैंने पूछा जी.. क़रीब सात साल |उसने जवाब दिया | अच्छा,कितने भाई बहन हैं तुम्हारे ? दीदी चार भाई बहन हैं हम .... सबसे बड़ी मैं ,फ़िर बहन ,फ़िर दो भाई |बहन की शादी हो गयी ,भाई छोटे-मोटे काम पर लगे हुए हैं |

ओके ,तुमने शादी नहीं की ?मैंने पूछा नहीं ,ऐसी बात नहीं है दीदी ,असल में मैं सुंदर नहीं हूँ न ,मेरी छोटी बहन सुंदर है ,मुझे देखने  लड़के वाले आये थे लेकिन उन्हें मेरी बहन पसंद आ गयी और उसकी शादी हो गयी |कई बार लड़केवाले  मुझे देखने आये लेकिन बात नहीं बन पाई  फ़िर अब मेरे मम्मी पापा भी कोशिश नहीं कर रहे मेरी शादी की ,घर के हालात भी ऐसे नहीं हैं कि दहेज़ दे कर मेरी शादी कर दी जाये | ये बताते-बताते उसका हँसता चेहरा थोड़ा मायूस सा हो गया था |

अरे....किसने कहा तुम सुंदर नहीं हो,अच्छी ख़ासी तो हो | अरे दीदी ....मैं जानती हूँ आप ऐसे ही कह रही हैं  अच्छा ये बताओ कहाँ तक पढ़ी हो ? दीदी.. इंटर तक पढ़ी हूँ मैं | फ़िर पढाई में मन नहीं लगा और पैसे की ज़रुरत की वजह से भी और मेरा शौक भी था इसीलिए मैंने पार्लर का काम सीख लिया अब यहाँ से क़रीब चार हज़ार रूपये मिल जाते हैं |थोड़ी बहुत हेल्प मिल जाती हैं इन रुपयों से |मेरा सपना है कि मेरा अपना पार्लर हो |लेकिन इतने रूपये ही नहीं बचा पाती कि सोच भी सकूँ कि ऐसा हो भी सकेगा और दीदी अब तो उम्मीद भी नहीं है कि मेरी शादी होगी |कौन करेगा मुझ जैसी बदसूरत से शादी ? 

सबसे पहली बात तो आज से ही ये सोचना छोड़ दो कि तुम सुंदर नहीं |क्या तुम्हे पता है तुम ईश्वर का अनादर कर रही हो ?ईश्वर की बनाई हर चीज़ सुंदर होती है इसीलिए तुम कैसे बदसूरत हुईं ? दूसरी बात तुम कोई बिकने वाली चीज़ नहीं हो जो तुम्हारी नुमाइश हो या तुम्हें पैसे देकर ब्याहा जाये, तुम सेल्फ डिपेंड हो य बड़ी ख़ासियत है तुम्हारी, तुम कितनी परफेक्टली यहाँ पार्लर का काम संभाले हुए हो|तुम्हें कोई न कोई ज़रूर मिलेगा जो सिर्फ़ तुम्हें चाहेगा,तुम्हारी क़ाबलियत को क़द्र करेगा..

मेरी बात सुन कर उसके चेहरे पर ख़ुशी दिखाई देने लगी  | मेरा मैनिक्योर भी हो चुका था|मेरे हाथों पर क्रीम लगाते हुए वो बोली दीदी अब कब आओगी आप ? मैंने कहा.. जब तुम ये सोचना बंद करोगी कि तुम सुंदर नहीं | दीदी.. पक्का.. अब मैं बिलकुल ऐसा नहीं सोचूँगी..

(अभी चार-पाँच महीने पहले एक ब्यूटी सलून का ये ज़िक्र मैंने आप सब से किया,क्यों किया इसकी बहुत सारी वजह हैं अभी कल की बात लीजिये कल टी.वी.चैनल की ब्रेकिंग न्यूज़ ये भी थी कि 'एक १४ -१५ साल के भाई ने अपनी बहन को रॉड से पीट पीट कर इसीलिए मार डाला कि उसकी बहन बहुत टाईट कपड़े पहनती थी ,उसके वाट्सएप यूज़ करने पर भी उसे आपत्ति थी' ये है स्वतंत्र भारत ?  जहाँ लड़के और लड़कियों कि परवरिश में सोना और मिट्टी जैसा अंतर है, जहाँ लड़कियों को आज भी आँख झुका कर चलने का फ़रमान सुनाया जाता है ,यहाँ आज भी लड़कियों को ख़रीदा- बेचा जाता है चाहे जिस्म फ़रोशी के रूप में या शादी में दहेज़ दे कर, यहाँ लड़कियों का अस्त्तिव भी एक माचिस कि तीली कि तरह जला कर ख़त्म कर दिया जाता है, लेकिन ये भी सच है कि कुछ  स्त्रियाँ स्वतंत्रता की परिभाषा को अपने-अपने तौर तरीक़ों से परिभाषित कर रही हैं जो कहीं कहीं बिलकुल उचित है और कहीं कहीं बिलकुल अनुचित, आज भी अगर लड़कियों को घर से बाहर झाँकने को भी मिल जाये तो समझिये कितनी बड़ी नियामत मिल गयी)

मैं अक्सर अपनी किसी रचना को आप सब से बाँटते हुए उसके रचे जाने की वजहें ज़रूर बताती हूँ, ये गीत उन सभी लड़कियों को समर्पित है और समर्थित जो साँसें तो आज़ाद हवाओं में ले रही हैं लेकिन उनका वजूद आज भी परतंत्र है, ये गीत उस पार्लर लड़की को समर्पित और समर्थित जिसे अपने असुन्दर होने कि वजह से शादी के बाज़ार में न बिक पाने का मलाल है..

मन में दृढ विश्वास निर्मित कर सकूँ

मैं  हौसलों से भय पराजित कर सकूँ मैं

राह में बाधायें होंगी जानती हूँ

अनगिनत चितायें होंगी जानती हूँ

फिर भी हर व्यवधान खण्डित कर सकूँ मैं हौसलों से

स्वाभिमानी श्वास तन में अंत तक हो

पर हितों का ध्यान मन में अंत तक हो

पुष्प सा ख़ुद को सुगन्धित कर सकूँ मैं हौसलों से

रूढ़ियों के बोझ हमको त्यागना है

मन में उन्नत सोच को अब धारना है

इन इरादों को प्रसारित कर सकूँ मैं हौसलों से

स्वार्थ के उपहार बन कर रह गये जो

तन का बस श्रृंगार बन कर रह गये जो

ऐसे पुष्पों को विसर्जित कर सकूँ मैं  हौसलों से

प्रण है मेरा सूर्य की उपमा बनूँ मैं

एक मौलिक गीत की भाषा बनूँ मैं

स्वसृजित आयाम अर्जित कर सकूँ मैं हौसलों से 

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