रिहाई
तनु नाम है उसका और उसकी माँ का नाम लता |जेल की महिला बैरक में जाने पर आज पहले की तरह उन्होंने मुझे सिर्फ़ अपनी ओर ध्यान देने के लिए ज़ोर नहीं दिया क्यों कि आज मेरे साथ पापा के नाम पर बनायी समिति के और भी मेम्बर्स थे |उन्होंने मुझे देखते ही बेहद ख़ुशी से हाथ हिलाया बस,फिर अपनी जगह जा कर बैठ गयीं|आज हम लोग महिला बैरक को एक टी वी उपहार के तौर पर देने गये थे |इससे पहले भी कुछ इसी तरह की वजहों से एक दो बार जेल आना हुआ |
लगभग आठ साल पहले जब पहली बार मैं तनु और उसकी माँ से मिली तो उनका रवैया बहुत डरा देने वाला था |वो खा जाने वाली निगाह से हम सबको देख रही थीं | जो सामान हम लाये थे उन्हें एक दो को छोड़ कर सभी महिला कैदियों ने मन से ले लिया था | तनु ने हमसे कहा कि हम कोई ऐसे वैसे नहीं हैं जो ये भीख लें |मैंने कहा' ये कोई भीख़ नहीं है ये तो हम आपसे मिलने आये तो बस थोड़ा कुछ.....उनके चेहरे के हाव भाव देख कर मैं चुप हो गयी| मैं महसूस कर पा रही थी कि उनके आत्म सम्मान को ठेस लगी है |वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहीं थीं ‘हम बेगुनाह हैं’ आँखों से जैसे आँसुओं की जगह गुस्सा बह रहा था |मेरा हाथ उन्होंने कस के पकड़ लिया था और कई पन्नों में लिखा कुछ मेरी ओर किया और बोलीं ‘इसे पढ़िए इसमें सब सच लिखा है’ |मैं बहुत डर सी गयी थी |लेडी कांस्टेबल ने मुझे उनसे अलग करवाया ,और भी महिला कैदियों के चेहरे उनकी कहानियाँ कह देने को आतुर दिखे लेकिन ख़ामोशी से | उन सब में सब से ज़्यादा मुखर वही दोनों थी | बाहर आकर मैंने जेलर से उनके बारे में जब पूछा तब उन्होंने बताया कि ये लड़की ऑफिसर पोस्ट पर थी और एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखती है |लेकिन ये दोनों माँ-बेटी यहाँ जेल में दहेज़ एक्ट में निरुद्ध हैं क्यों कि मरते समय इसकी भाभी ने इनके ख़िलाफ़ बयान दिया था |झूठा या सच्चा कहने से वो बचे लेकिन मैं समझ गयी थी ये एक और झूठे दहेज़ केस का मामला है||दुःख होता है कि दहेज़ एक्ट एक सही उद्देश्य से बनाया गया था उसका भी ग़लत इस्तेमाल लोग कर रहे हैं |खैर मुझे पूरी तरह सच्चाई मालूम भी नहीं थी |उन्होंने ये भी बताया कि ये लड़की बहुत अच्छी कवितायेँ लिखती है और वो जल्द ही इसकी कवितायेँ प्रकाशित करवाने वाले हैं, सुनकर मुझे अच्छा लगा |
अगर सजा बेगुनाह को मिले तो उसके दुःख का अंदाज़ा हम लगा ही सकते हैं | मैं वापस घर आ गयी थी लेकिन मन वहीँ था |
फिर एक दो बार जाना हुआ और फिर से ऐसा ही घटनाक्रम |
आज फिर मिलने पर उसने बस इतना ही कहा ‘सोनरूपा जी आपने जो नोट उस संग्रह पर लिखा उसे उन्होंने बहुत संभाल कर रखा है ,मेरे लिए आज तक इतना अच्छा कभी किसी ने नहीं लिखा और ये कहते हुए वो फफ़क पड़ी’|मुझे मालूम था मैंने उस नोट में उसकी कविताओं में व्यक्त उसके दर्द को साझा किया था बस यही उसके लिए महत्वपूर्ण था | उसके साथ ही क्यों ये हम सबके साथ भी ज़िन्दगी में अक्सर होता है कि हमारे दुःख का साझीदार हमारे सुख के साझीदार से कहीं ज़्यादा अहम् हो जाता है |
वो नोट और उस संग्रह की कुछ कवितायेँ मैं आप सब के साथ भी शेयर करना चाहूँगी
वो नोट और उस संग्रह की कुछ कवितायेँ मैं आप सब के साथ भी शेयर करना चाहूँगी
‘सितम’ को पढ़ने के बाद _____________________________________
ऐसा पहली बार हो रहा है मेरे साथ कि लिखते-लिखते मेरी कलम की स्याही में अचानक ही स्याही नहीं पानी सा छलकने लगता है | ये पानी नहीं हैं ये आँसू हैं जो ‘सितम’ की कविताओं से गुज़रते हुए बार-बार मेरी आँखों में डबडबाने लगते हैं !
अगर दर्द की परिभाषा को जाननी हो तो सितम की कवितायें पढ़ना दर्द की नई परिभाषा को जानना होगा !
अगर साहस और अन्याय के खिलाफ़ शक्ति संचयन की लौ की तीव्रता नापनी हो तो इन कविताओं की आग महसूस कर कुछ पल के लिए आप भी अपने शरीर में चिंगारियों को चुभता महसूस करेंगे !
इतने कठिन जीवन के बावजूद भी मानवीय एवं सामाजिक मूल्यों के प्रति विश्वास देखना हो तो ‘सितम’ की कविताओं के अर्थ टटोलने होंगे |
और आस के ख़ूबसूरत पलों की मधुरता को महसूसना हो तो फिर आपको ‘सितम’ की कवितायें को पढ़ते-पढ़ते एक सलोना सा ख़्वाब देखना होगा लेकिन फ़िर जाग कर उसे तोड़ना भी होगा |
सच ...क़िस्मत ने तनु को तूफ़ान में खड़ा कर दिया है |
बंद जगह जहाँ सिर्फ़ तूफ़ान है और तूफ़ान को झेलने वाला है |
ये तूफ़ान कमज़ोर क़ानून,स्वार्थ,भ्रष्टाचार,लालच,संवेदन हीनता,झूठ,फ़रेब की तेज़ हवाएं हैं |
अब ‘शाम’ होने के साथ उसे भी सोना ही है क्यों कि जागने का कोई सबब उसे नज़र नहीं आता,,उसके आस पास है ही क्या सिवाय चारदीवारी के |‘होलिका दहन’ के बाद रंगों से सरोवार होली में बिखरता लाल गुलाल उसे उसकी रोती हुई आँखों की लाली लगने लगा है|,उसका जन्मदिन अब निर्दोषों के उद्दार की प्रार्थना में बीत जाता है,| ‘हवा’ से न जाने कितने प्रश्न पूछती रहती है वो |क्यों कि हवा ही है जो उसके और उसके छूटे आँगन से उसका आभासी मेल कराती है,|पराधीनों और बेबस को जेल में मुबारक़ स्वतंत्रता दिवस’ मनाना कठिन है , ये उसके सिवा और उसके जैसे निर्दोष बंदियों के अलावा कौन जानता होगा,|
जेल के लगाये गये मूक श्याम पट के दर्द का दर्द भी जो संभाले रहती है उसका दिल कितना दर्द से भरा होगा ?उसकी ज़िन्दगी में रानी के रूप में एक मात्र रौशनी है जिससे मिलना,जिसके बारे में सोचना उसे कुछ देर के लिए फिर से अपनी माँ,भाई और भाई की छोटी सी बेटी यानि रानी के जीवन में हुए अन्याय के खिलाफ़ लड़ने का हौसला देता है |
जेल के लगाये गये मूक श्याम पट के दर्द का दर्द भी जो संभाले रहती है उसका दिल कितना दर्द से भरा होगा ?उसकी ज़िन्दगी में रानी के रूप में एक मात्र रौशनी है जिससे मिलना,जिसके बारे में सोचना उसे कुछ देर के लिए फिर से अपनी माँ,भाई और भाई की छोटी सी बेटी यानि रानी के जीवन में हुए अन्याय के खिलाफ़ लड़ने का हौसला देता है |
यही है तनु यानि ‘सितम’ की कविताओं की लेखिका जिसने अपने अंदर का आन्दोलन कलम से लिखा है ,उन्हें कविताओं में ढाला है ,और शब्दों ने भी तनु की संवेदनाओं का भरपूर साथ दिया है |कई कवितायेँ भावों की महीन कारीगरी लगती हैं |
ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें रास्ते दिखायें जिनसे होकर वो अपनी मंज़िलों और ख़ुशियों को पा सकें|मैं यहाँ ईश्वर से सिर्फ़ उनके लिए रास्ता दिखाए जाने की प्रार्थना इसीलिए कर रही हूँ क्यों कि उन्हें पढ़कर और उनसे जेल में दो बार संक्षिप्त मुलाक़ात कर उनके ज़ज्बे और उनकी हिम्मत पर ख़ूब भरोसा है मुझे | दहेज़ क़ानून को अपनी ढाल बना कर फ़रेब के दुश्चक्र रचने वालों से अपनी जंग वो जल्द ही जीत जाएँ |
कामनाएँ |
सोनरूपा
जेल परिसर में लगाये गये अभिव्यक्ति पटल के स्वागत पर ...
जेल परिसर में लगाये गये अभिव्यक्ति पटल के स्वागत पर ...
संस्कारित सोच ...........
जेल में बिना कारण कैद प्रत्येक मासूम बच्चे को समर्पित ....
मुझे आज दोनों माँ बेटी के चेहरे पर शांति और स्वभाव में थोड़ी सी स्थिरता दिखाई दी जो आज से पहले मैंने नोटिस नहीं की थी | वो फिर हँसते हुए बोलीं ‘अब जेलर साहब ही बताएँगे कि हम कब जेल से बाहर आ रहे हैं’| मैंने दोनों को शुभकामनायें दीं |अब तक बैरक में टी .वी सेट हो चुका था | हमारा भी चलने का वक़्त हो गया था |बाहर आते-आते पता चल गया था कि ये दोनों अगले माह की पाँच तारीख़ को रिहा हो रही हैं,बहुत ख़ुश हुई मैं ये सुनकर,हालाँकि मेरे मन ने उन दोनों को उनकी कवितायें पढ़ कर ही निर्दोष मान लिया था लेकिन अदालत का फ़ैसला अब आया था|हमारे देश में अक्सर गुनाहगार भी अदालत में सुनवाई होने से पहले ही अपने गुनाह की सज़ा काट लेते हैं,और बदकिस्मत बेगुनाह भी निर्दोष साबित होने तक |
जेल में बिना कारण कैद प्रत्येक मासूम बच्चे को समर्पित ....
वो क्यों हैं जेल में ?
हवा को संबोधित करते हुए ...क्यों कि हवा ही है जो उसके घर आँगन से होकर उस तक पहुँचती है मुझे आज दोनों माँ बेटी के चेहरे पर शांति और स्वभाव में थोड़ी सी स्थिरता दिखाई दी जो आज से पहले मैंने नोटिस नहीं की थी | वो फिर हँसते हुए बोलीं ‘अब जेलर साहब ही बताएँगे कि हम कब जेल से बाहर आ रहे हैं’| मैंने दोनों को शुभकामनायें दीं |अब तक बैरक में टी .वी सेट हो चुका था | हमारा भी चलने का वक़्त हो गया था |बाहर आते-आते पता चल गया था कि ये दोनों अगले माह की पाँच तारीख़ को रिहा हो रही हैं,बहुत ख़ुश हुई मैं ये सुनकर,हालाँकि मेरे मन ने उन दोनों को उनकी कवितायें पढ़ कर ही निर्दोष मान लिया था लेकिन अदालत का फ़ैसला अब आया था|हमारे देश में अक्सर गुनाहगार भी अदालत में सुनवाई होने से पहले ही अपने गुनाह की सज़ा काट लेते हैं,और बदकिस्मत बेगुनाह भी निर्दोष साबित होने तक |
इस बार मैं घर लौटते वक़्त परेशान नहीं थी जितना पहले जेल से लौटते वक़्त हुआ करती थी लेकिन मन ही मन ख़ुद से सवाल कर रही थी कि 'कि बेगुनाह क्या वाक़ई क़ैद से रिहा हो पाते हैं' ?
(तनु और लता नाम काल्पनिक हैं )
सोनरूपा !तुम्हारी सहृदयता,संवेदनशीलता और लेखनी की ऊर्जा को नमन //दिनेश रस्तोगी
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