रतजगों का हिसाब रहने दो

रतजगों का हिसाब रहने दो
कुछ अधूरे से ख़्वाब रहने दो
 
झील सा दायरे में मत बाँधो
कोशिशों को चिनाब रहने दो 

सिर्फ़ सूरत का क्या है,कुछ भी नहीं
अपनी सीरत गुलाब रहने दो

राब्ता कुछ तो तुमसे रखना है
तुम वो सारे जवाब रहने दो 

चाहती हूँ कि तुमसे कह दूँ मैं
तुम मेरा इंतेखाब रहने दो 

एक दूजे को पढ़ चुके हैं हम
बंद अब ये किताब रहने दो

सोनरूपा  चिनाब -नदी का नाम इंतखाब-चुनाव

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

लड़कियाँ, लड़कियाँ, लड़कियाँ (डॉ. उर्मिलेश की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल)

सोत नदी 🌼