डॉ. उर्मिलेश और हिन्दी ग़ज़ल
आदरणीय वसीम बरेलवी जी पापा डॉ. उर्मिलेश की सृजन यात्रा के साक्षी रहे हैं. इसीलिए उनको 'डॉ. उर्मिलेश और हिन्दी ग़ज़ल' देने का जब अवसर मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा.
धीरे-धीरे किताब उन हाथों में पहुँच रही है जहाँ इसे होना चाहिए था.
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