डॉ. उर्मिलेश और हिन्दी ग़ज़ल

 आदरणीय वसीम बरेलवी जी पापा डॉ. उर्मिलेश की सृजन यात्रा के साक्षी रहे हैं. इसीलिए उनको 'डॉ. उर्मिलेश और हिन्दी ग़ज़ल' देने का जब अवसर मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा.

धीरे-धीरे किताब उन हाथों में पहुँच रही है जहाँ इसे होना चाहिए था.

पुस्तक प्राप्त करने के लिए आप इस लिंक पर जाएं https://www.amazon.in/.../ref=cm_sw_r_apan_glt_fabc...







टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बाँटना ही है तो थोड़े फूल बाँटिये (डॉ. उर्मिलेश)

लड़कियाँ, लड़कियाँ, लड़कियाँ (डॉ. उर्मिलेश की सुप्रसिद्ध ग़ज़ल)

सोत नदी 🌼