नया साल

 समय और अनुभव समानांतर चलते हैं।

दोनों मिलकर जीवन को स्पष्ट करते चलते हैं।इस वर्ष कुछ ज़्यादा स्पष्टतायें महसूस हुईं हमें।जीवन की अनिश्चितता ने वर्तमान को जीना ज़्यादा सिखाया भविष्य को कम।निर्लिप्तता का महत्व समझा है।कविता ने मुझ पर बड़ा परोपकार किया है।

थोड़ा और समझा है 

क्यों हूँ मैं,क्या हूँ मैं,क्या होना चाहती हूँ मैं।

मैंने अपने मन का समय ख़र्च करना सीखा।

वहाँ बचाया ख़ुद को जहाँ मेरा जाया होना निश्चित था।रो ली जब रोना आया बिना झेंपे, हँसी भी ऐसे ही।अब और ज़्यादा धैर्य से सुनती हूँ उनको जिनको ज़रूरत है एक भरोसेमंद सुनने और समझने वाले की।कहने भी लगी हूँ वो बातें जो मैं ख़ुद से ज़्यादा करती थी।मैंने उम्र को अपनी चन्चलताओं पर रोक नहीं लगाने दी।गिलहरी बनी रही।अच्छा लगा कि मेरे जैसे कई नए लोग इस साल जुड़े।मैं अपने मत पर और दृढ़ हुई कि स्वयं की स्वीकार्यता ही सर्व स्वीकार्यता की पहली सीढ़ी है।

कृतज्ञता का भाव थोड़ा और बढ़ा।


मुक्ति और बन्धन के डोर में पड़े झूले में ख़ूब झूली। 


ईर्ष्यालु,अहमी,अस्वस्थ आलोचनाकों,असम्वेदनहीनों और ऐसी ही अनेक दुर्भावनाएं रखने वालों को देखकर दुखी हो जाती हूँ, खीझती हूँ सोचती हूँ क्यों इतने सुंदर जीवन को असुंदर बनाते हैं लोग।ये निरन्तर उठते प्रश्न मेरी बढ़ती सम्वेदनशीलता की उपज हैं ।अपनी इस अतिरेकता को साधना मुश्किल लग रहा है।फिर भी अपने हिस्से की कोशिश कर रही हूँ कि जहाँ ऐसे विचार नज़र आएं वहाँ अपना नज़रिया रख कर कोशिश तो करूँ कुछ ताप कम करने की।ज़रूरत से ज़्यादा सोचना नहीं छोड़ पाई।जहाँ कम अपेक्षित था वहाँ ज़्यादा स्नेह दे दिया।भावुकता की मिट्टी मेरे बनावट में सबसे ज़्यादा लगी है तो वो तो मिट्टी होने पर ही ख़त्म होगी।क्या करूँ?लेकिन मैं ऐसी ही अच्छी।ख़ुद को बहुत प्यार करती हूँ इसी कारण।


सोचती रहती हूँ कि एक दिन सबको जान लेना चाहिए कि प्रेम सबसे ज़रूरी है जीवन में।उस दिन को जीवन का नया साल मानना चाहिए और उसके बाद के जीवन को जीवन।

आज के समय में भले ही ऐसी बातें वास्तविकता की कक्षा में सबसे कम अंक पाएं लेकिन आज के कठोर और कुरूप समय में ये अगर ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के भीतर जन्में तो निश्चित है कि ये आपके भीतर एक अद्भुत सा परिवर्तन कर देंगी। प्रेम के भाव से भरे रहना एक फूल और फूल की सुगंध होना है,जो महक रही है सबके लिए।अपनी सुंदर बातों में, सुंदर कामों में अपनी आत्मा से मिल पाना है।सबको अपना मानना बहुत कुछ छिन जाने का भय ख़त्म कर देना है।

नफ़रत एक घुन है जो लग गया तो उसका नुकसान ज़्यादा होगा जो नफ़रत कर रहा है बनिस्बत उसके जिससे नफ़रत की जा रही है।

इन सब से शुद्ध हो जाना हवा से भी हल्के हो जाना है। फूल,आसमान,सूरज,चाँद ,कुछ होठों की निश्चिंत हँसी ,एक माँ,एक शिशु, वक़्त की चाल जो बीतने का शोक नहीं त्यागने की शक्ति का संदेश देती है।कितने सारे साथी हैं जो हमारी उँगली पकड़ कर हमारा हाथ सच्चे आनंद के हाथ में देने को तैयार हैं। 


हमारा जीने का बेहतर तरीक़ा ही हमारे जीवन को हमारा योगदान  है।ईमानदारी तो यही है।

अन्तर्जागृति की करवट से नए साल की आँख खुले यही कामना है। 


ख़ुद से शुरू होकर सब तक आ गयी।शायद मैं सही रास्ते पर बढ़ रही हूँ।


एक व्याधि के आने से 2020 को बुरा कह कर विदा नहीं दूँगी।

क्योंकि जाने वाले को प्रेम से विदा किया जाता है।


#sonroopa 

#HappyNewYear2021

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