साथ अपने ले गया बचपन

 एक सीधा सा सरल सा मन

साथ अपने ले गया बचपन
फ़िक्र से अंजान रहते थे
पँछियों जैसे चहकते थे
इंद्रधनु जैसी लिये मुस्कान
चुलबुली नदिया सी बहते थे
मस्तियों से गूँजता आँगन
साथ अपने ले गया बचपन
हम थे मौलिक गीत के गायक
रह गये अब सिर्फ़ अनुवादक
कहने को आज़ाद हैं लेकिन
ख़्वाहिशों के बन गए बंधक
तृप्ति का, संतुष्टि का हर क्षण
साथ अपने ले गया बचपन
प्रेम को व्यापार कर बैठे
ज़िन्दगी रफ़्तार कर बैठे
जो नहीं था ज़िन्दगी का सच
झूठ वो स्वीकार कर बैठे
सच को सच कह्ता हुआ दर्पण
साथ अपने ले गया बचपन
रहके अपने आप तक सीमित
साधते रहते हैं अपना हित
स्वार्थ की पगडंडियों पे चल
कर रहे हैं ख़ुद को संचालित
भोर की किरणों सा भोलापन
साथ अपने ले गया बचपन
{बचपन जैसे हिमालय से निसृत गंगा,बिल्कुल कोरा,निर्मल,निश्छल।
फिर जिस तरह बहते-बहते न जाने कितनी मिलावटें नदी में होने लगती हैं उसी तरह उम्र के बढ़ने के साथ-साथ हमारे अंदर से भी वो प्यारी सी कोमलता,निश्छलता,निर्मलता ख़त्म होने लगती है।उसी आकलन का ये गीत}




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