पांडुलिपि पूरी करें हम प्यार की

 अक्सर प्रणय की पाण्डुलिपि मुद्रित तो हो जाती है लेकिन अपूर्ण रह जाती है।'काश ऐसा होता' वाला एक भाव हमेशा बना रहता है।परन्तु ऐसे क्षण भी आते हैं जब युगल एक दूसरे के साथ सम्पूर्णता का अनुभव करते हैं।इन्हीं भावनाओं का एक गीत।

पांडुलिपि पूरी करें हम प्यार की,
भाग्य को लिख पंक्तियाँ आभार की।
साथ मिल हमने रचा है प्रीत को
जी रहे हैं श्वांस में संगीत को
भावविह्वल है हमारी ज़िन्दगी
देख कर हम पर ह्रदय की जीत को
इन पलों के सागरी विस्तार की,
पांडुलिपि पूरी करें हम प्यार की।
हम क्षणों को गूँथ लें इतना सघन
गंध से आबद्ध ज्यों रहता सुमन
शिल्प हो जैसे कि हिम की शृंखला
बस नदी सा हो तरंगित हर कथन
आसमां जैसे विशद आकार की,
पांडुलिपि पूरी करें हम प्यार की





टिप्पणियाँ

  1. हम क्षणों को गूंथ लें इतना सघन
    गंध से आबद्ध ज्यों रहता सुमन!


    जीवन की भाग दौड़
    आपाधापी मे बहुत देर हुई !
    मुझे आपके रूप अनुरूप
    बहुत गहरे प्रेम, संवेदनाओ
    असीमित भावों से भरे एक
    खूबसूरत अंतर्मन तक !
    बहुत अरसे बाद एक
    सुकूँ सा मिला है
    मेरी अंतर्मन आत्मा को
    की आप प्रकृति मे
    कुर्सी पर बैठे गुनगुनाएं
    हम ज़मी पर बैठ
    आपको बस सुनते रहें !
    और कभी अहसास हुआ था
    सिर्फ इसी तरह मेरे अज़ीज़
    गुलज़ार साहब को सुन सकूँ बैठ !

    तम्मनाएँ ठिकाना चाहती है की
    खालिस बिना Mike आपको
    सुनते रहें!
    और सुने आप से कि

    मुझमे बस थोड़ी सी मैं हूँ
    बाकी मुझमे पूरी माँ हैं !

    कवि तो सभी बहुत उम्दा है
    बस आप मेरी रूह हो गयीं
    और गुलजार मेरा दिल हो गए
    बचे हम जो कुछ आपकी
    और गुलजार साहब के
    अंतरभावों लव्जों और
    जुबान से खुद को जी रहे !

    आदरणीय !
    रूह से शुक्रिया
    ताउम्र कुदरत भर जियें आप !
    आशुतोष अखंड


    कि पास बैठा रहूँ
    नीचे जमीं

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