एक गिलहरी

 एक गिलहरी

कभी पीपल,कचनार,गूलर,कदम्ब,आम तो कभी नीम,आंवला,सहजन,जामुन,शरीफे के प्यारे-प्यारे पौधे अपनी स्कूटी के आगे के हिस्से में रखकर रखकर हवा से बातें करता हुआ,मुस्कुराता ये पति पत्नी का जोड़ा जीवन की सार्थकता का चलता फिरता प्रमाण है।
दरअसल हमारे बदायूँ शहर के सुनील गुप्ता एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सोनिका गुप्ता की दिनचर्या में रोज़ पौधे रोपना शामिल है।दोनों शहर में ख़ाली जगह चिन्हित कर ख़ूब फलदार,छायादार पौधे रोपते हैं और उनकी निरन्तर देखभाल करते हैं।बच्चों की तरह पालते पोसते हैं।उन्हें बड़ा और मज़बूत करते हैं।पूरे शहर द्वारा उनको अपने इस नेक प्रयास के लिए सम्मान और स्नेह दिया जाता है।हरी भरी धरा के लिए कृत संकल्पित इस दम्पति ने अपनी इस शानदार यात्रा का नाम 'एक गिलहरी'रखा है।उनका कहना है जिस तरह रामसेतु में एक गिलहरी का नन्हा सा योगदान था वैसे ही हमारा भी पर्यावरण के लिए ये छोटा सा योगदान है।
इस पर्यावरण दिवस पर इन्होंने अपने इन सुंदर प्रयासों के मनके में एक मनका मुझसे भी जुड़वाया।पर्यावरण दिवस पर बरेली रोड स्थित हमारे खेत और बगिया में कदम्ब,नीम,आंवला,हरण,सहजन के पौधे लगवाए।हमारे सहायक धनवीर और राजू की ज़िम्मेदारी है इन्हें पालने पोसने की।सुनील जी भी इनका ध्यान रखेंगे और मैं भी।आज इस पोस्ट का उद्देश्य क्या था आप समझ ही गए होंगे।एक गिलहरी के संस्थापक दम्पति को हम सबकी ओर से सेल्यूट देना और उन्हें प्रेरित करना जो इस कर्तव्य के प्रति उदासीन हैं।
हमारे घर में भी ख़ूब रौनक कर गए ये पेड़,पौधों और फल,फूलों की बातों से।
ख़ूब पौधे लगाइये ये भी वैक्सीन हैं ज़िन्दगी की ख़ुशहाली की।

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